पत्रिका स्पेशल: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है परंतु जब इस मुद्दे पर एकांत में विचार किया जाए तो मन में एक सवाल जन्म लेता है, कि आखिर ऐसी क्या दिक्कत थी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को सम्मान देने के लिए 1 दिन की घोषणा करनी पड़ी। इसका उद्देश्य शुरूआत से ही केवल महिलाओं को सम्मान देना था या उन्हें अपनी परेशानियों से तंग आकर आक्रोश में इस दिन को मनाना शुरू किया है। भारत की ही तरह संपूर्ण भविष्य में भी महिलाओं को अपने अधिकार अपने सम्मान को पाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास और उसे क्यों मनाया जाता है
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरूआत साल 1960 में न्यूयार्क से हुई थी। उस समय वहां मौजूद महिलाओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर अपनी जॉब में समय को कम करने की मांग को लेकर मार्च निकाला था। इसी के साथ महिलाओं ने अपने वेतन बढ़ाने और वोट डाले के अधिकार की भी मांग की थी। इस 1 वर्ष पश्चात अमेरिका में इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया गया। इसके बाद साल 1910 में क्लारा जेटकिन में कामकाजी महिलाओं के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान इस दिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाने का सुझाव दिया। सम्मेलन में 17 देशों की करीब 100 कामकाजी महिलाएं उपस्थित थी। इन सभी महिलाओं ने के अध्ययन के सुझाव का समर्थन किया इसके बाद साल 1911 में सर्वप्रथम 19 मार्च के दिन कई देशों में यह दिन एक साथ मनाया गया इस तरह से गया प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस था। परंतु अब तक इसे बनाने के लिए कोई निश्चित नहीं था इसके बाद 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने खाना और शांति के लिए विरोध प्रदर्शन किया,
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क्यों विरोध इतना संगठित था कि सम्राट निकोष को अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसके बाद यहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी मिला। रूसी महिलाओं ने इसे देश इस हड़ताल की शुरूआत की थी रूसी महिलाओं ने जिस दिन इस हड़ताल की शुरूआत की थी वह दिन 28 फरवरी था और ग्रैंड मैरियन कैलेंडर में यदि 8 मार्च था। तभी से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा इस सब के बावजूद इसे आधिकारिक मान्यता कई वर्षों के बाद 1975 में मिली इसी वर्ष में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे टीम का स्थान बनाने का निर्णय लिया गया था इसकी सबसे पहली थीम सेलिब्रेटिंग कंपास एंड प्लैनिंग फॉर द फ्यूचर की महिला दिवस का उद्देश्य था। महिला दिवस को मनाने का उद्देश्य समय के साथ और महिलाओं की सामाजिक स्थिति बदलने के साथ परिवर्तित होते आ रहे हैं। शुरूआत में 19वीं शताब्दी में इसकी शुरूआत की गई थी तब महिलाओं ने मतदान का अधिकार प्राप्त किया था। परंतु अब समय परिवर्तन के साथ इसके उद्देश्य कुछ इस प्रकार है महिला दिवस मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिला और पुरुषों में समानता बनाए रखना है। आज की दुनिया में ऐसे हैं जहां महिलाओं को समानता का अधिकार उपलब्ध नहीं है जहां महिलाओं को पदोन्नति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है वहीं स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाएं आज भी काफी दिक्कतें पेश आती है। कई देशों में अभी महिलाएं शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़ी हुई हैं।
इसके अलावा महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले भी अभी देखे जा रहे हैं महिला दिवस मनाने का एक उद्देश्य लोगों को इस संबंध में जागरूक करना भी है। राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अभी महिलाओं की संख्या पुरुषों से कई पीछे हैं। महिलाओं का आर्थिक स्तर भी पिछड़ा हुआ है महिला दिवस मनाने का एक उद्देश्य महिलाओं को इस दिशा में जागरूक कर उन्हें भविष्य में प्रगति के लिए तैयार करना भी है। 1911 में जब से कई देशों में साथ मनाया गया था तब से लेकर इस वर्ष तक की गिनती लगाएं तो साल 2021 में या 111 वां महिला दिवस है। जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा यह पूरे विश्व में एक साथ 8 मार्च 2021 को अपने अपने तरीके से सेलिब्रेट किया जा रहा है। साल 1996 से लगातार महिला दिवस किसी निश्चित दिन के साथ ही मनाया जा रहा है। साल 2021 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है, थिंक इक्वल बिल्डरस्मार्ट इन वेट फॉर चेंज है। इसका उद्देश्य नई सोच के साथ समानता और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना है। इसके अलावा इस वर्ष महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के अतिरिक्त सार्वजनिक सेवा और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उनकी उपस्थिति में ध्यान देना है।
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