Jakhu Mandir || शिमला में हनुमान जन्मोत्सव पर उमड़ा आस्था का सैलाब, जाखू मंदिर में लगीं लंबी कतारें

भगवान हनुमान को दसों दिशाओं, आकाश और पाताल का रक्षक कहा जाता है

Jakhu Mandir ||  आकाश और पाताल का रक्षक कहा जाता है।जाखू मंदिर प्रबंधन ने भक्तों के लिए विशेष प्रसाद की भी व्यवस्था की है। भगवान हनुमान की जयंती के अवसर पर उन्हें दो क्विंटल रोटियां अर्पित की जाएंगी
Jakhu Mandir || शिमला में हनुमान जन्मोत्सव पर उमड़ा आस्था का सैलाब, जाखू मंदिर में लगीं लंबी कतारें
Jakhu Mandir || Image credits ।। Cenva

Jakhu Mandir || हिंदू धर्म में चैत्र माह को बहुत ही शुभ माना जाता है। चैत्र माह हिंदू नववर्ष (new year) की शुरुआत का प्रतीक है।भगवान राम का जन्म नवरात्रि के नौवें दिन और भगवान हनुमान (Hanuman ) का जन्म चैत्र पूर्णिमा के दिन हुआ था।भगवान शिव के 11वें अवतार भगवान हनुमान की जयंती हर साल बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती है।इस साल भी देशभर (across the country) में हनुमान जयंती मनाई जा रही है. हिमाचल प्रदेश (Himachal pardesh) के मंदिरों में हनुमान जयंती बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान शिव के भक्त पवित्र दिन की शुरुआत से ही मंदिर में आते रहे हैं।

पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए

भगवान हनुमान को दसों दिशाओं, आकाश और पाताल का रक्षक (saviour) कहा जाता है।जाखू मंदिर प्रबंधन ने भक्तों के लिए विशेष प्रसाद की भी व्यवस्था की है। भगवान हनुमान की जयंती के अवसर पर उन्हें दो क्विंटल रोटियां अर्पित की जाएंगी। सुबह से ही मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। हनुमान (Hanuman) की महिमा अपरंपार है, जाखू शिमला शहर की सबसे ऊंची पहाड़ी है और यहां भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति भी है।जल्द ही भगवान राम की 111 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित (established) की जाएगी। जो भक्त निस्वार्थ भाव से हनुमान जी की पूजा करते हैं उन्हें कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान हनुमान को मारुति, बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, राम दूत, वानर युथपति, कपि श्रेष्ठ, शंकर सुवन और रामभक्त जैसे कई नामों से जाना जाता है।

क्या है मंदिर का इतिहास?

विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर शिमला में लगभग 8,048 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।कहा जाता है कि हनुमान जी का नाम जपने मात्र से ही सांसारिक सुखों की प्राप्ति हो जाती है। देश भर से ही नहीं बल्कि विदेशों (foreign) से भी भक्त भगवान हनुमान के दर्शन करने आते हैं। इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेश पर, हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत पर उड़ गए। हिमालय (Himalaya ) की ओर जाते समय हनुमान जी की नजर राम नाम जपते ऋषि यक्ष पर पड़ी। इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष से मिले और विश्राम किया। इस मंदिर में हनुमान जी की एक मूर्ति स्थापित है।मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए तो सुखसेन वैद्य ने भगवान राम से संजीवनी बूटी लाने को कहा। इस स्थान पर भगवान की स्वयं निर्मित प्रतिमा (statue) प्रकट हुईl भगवान हनुमान ने वापस जाते समय ऋषि यक्ष से मिलने का वादा किया, लेकिन वापस जाते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई। समय की कमी के कारण हनुमानजी एक छोटे रास्ते से चले गये। हनुमान जी के न आने से ऋषि यक्ष परेशान हो गए। जैसे ही ऋषि यक्ष व्याकुल हो गए, भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए।

हनुमान जी के चरण भी मौजूद हैं।

इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनके चरण विद्यमान हैं।ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया था।यक्ष ऋषि से याकू नाम पड़ा और याकू से जाखू नाम पड़ा। आज यह मंदिर पूरी दुनिया में जाखू मंदिर (jakhu temple ) के नाम से जाना जाता है।

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