करोड़पति सुपरस्टार का पोता, फिर भी किसी ने नहीं दिया काम, एक्टर बोला- एक कौड़ी का...

करोड़पति सुपरस्टार का पोता, फिर भी किसी ने नहीं दिया काम, एक्टर बोला- एक कौड़ी का...

पत्रिका डेस्क: टीवी के पॉपुलर एक्टर शक्ति अरोड़ा ने कई सीरियल्स किए. अपनी पहचान घर-घर में बनाई. पर शुरुआती दौर इनका काफी मुश्किलों में बीता.  सुपरस्टार दिवंगत एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर चंद्रशेखर के पोते हैं. एक्टर के पिता नरेश कुमार अरोड़ा भी अपने जमाने के जाने-माने एक्टर रह चुके हैं. पर जब शक्ति ने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने का सोचा तो उन्हें किसी ने काम नहीं दिया. कोई सीरियल नहीं मिला. नाम का इस्तेमाल करने के बावजूद इन्हें कास्ट नहीं किया गया.  शक्ति ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा- मेरे पिता CINTAA में काम करते थे. दादू ने इसे बनाया था. पर जब मैंने उनसे कहा कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं तो वो इसके खिलाफ थे.

"दादू बोले कि जाकर पढ़ाई करो, MBA करो और जॉब करो. तुम एक्टिंग नहीं कर पाओगे और न तुम्हें एक्टिंग आती है. मेरे मुंह पर ये चांटा था. मुझे लगा कि मैं एक्टिंग के परिवार से ताल्लुक रखता हूं तो मुझे क्यों प्रमोट नहीं किया जा रहा है." 

करोड़पति सुपरस्टार का पोता, फिर भी किसी ने नहीं दिया काम, एक्टर बोला- एक कौड़ी का...
"उन्होंने मेरे लिए कोशिश भी की कि काम मिल जाए, लेकिन नहीं मिला. क्योंकि सबको लगा कि मैं उतना काबिल नहीं हूं. तो मैंने अपने हिस्से का स्ट्रगल किया है. मैंने कभी खानदान के नाम का इस्तेमाल नहीं किया."

"मैं अपने क्रेडिट पर छोटे से छोटा काम किया. जूनियर आर्टिस्ट बना, बॉडी डबल का काम किया. फिर मैंने जब लीड रोल में अपना पहला सीरियल किया तो दादू ने देखा और उन्होंने कहा कि तू एक नैचुरल एक्टर है."

"मुझे यश चोपड़ा, सुभाष घई से मिलवाया पर किसी ने नहीं बोला कि इसे हीरो बनाओ. क्योंकि किसी को मेरे अंदर काबिलियत नहीं दिखी और किसी ने नहीं कहा कि इसको हीरो बनाओ."

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"मेरे दादू ने सबसे ये कहकर मुझे मिलवाया कि ये मेरा पोता है. ये कॉल सेंटर में काम करता है. ये वो काम करता है. उन्होंने कभी नहीं कहा कि ये एक्टर है, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनकी इज्जत पर बात आए." "मैंने अपना रास्ता खुद बनाया और छोटे-मोटे रोल्स करके नाम कमाया. मैं इतने सारे ऑडिशन्स देता था. बाइक पर जाता था. 6-7 ऑडिशन्स देता था, फिर भी एक में भी सिलेक्ट नहीं होता था. पर हां जब टीवी पर काम मिला तो देखा कि एक कौड़ी का यहां नेपोटिज्म नहीं."

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