Adverse Possession || जानना जरूरी: क्या किरायेदार जिस घर में दस साल से ज्यादा समय से रह रहा है, उस संपत्ति पर कर सकता है अपना दावा

Adverse Possession ||  हम अक्सर ऐसे मामले सुनते हैं जहां मालिक किरायेदार को घर खाली करने के लिए कहता है, लेकिन किरायेदार मना कर देता है। मालिक घर खाली करने के लिए बार-बार जबरदस्ती करता है। ऐसी स्थिति में किरायेदार का कहना है कि वह इस घर में काफी समय से रह रहा है। वह […]

Adverse Possession || जानना जरूरी: क्या किरायेदार जिस घर में दस साल से ज्यादा समय से रह रहा है, उस संपत्ति पर कर सकता है अपना दावा

Adverse Possession ||  हम अक्सर ऐसे मामले सुनते हैं जहां मालिक किरायेदार को घर खाली करने के लिए कहता है, लेकिन किरायेदार मना कर देता है। मालिक घर खाली करने के लिए बार-बार जबरदस्ती करता है। ऐसी स्थिति में किरायेदार का कहना है कि वह इस घर में काफी समय से रह रहा है। वह इस घर को नहीं छोड़ेगा। ऐसे में लोग अक्सर पूछते हैं कि क्या अगर कोई किरायेदार लंबे समय से किसी घर में रहा है। ऐसे में क्या वह उस पर दावा कर सकता है? अगर आप भी जानना चाहते हैं इसलिए यह खबर विशेष रूप से आपके लिए है। यही कारण है कि आज हम आपको 1963 के लिमिटेशन एक्ट के बारे में बताने जा रहे हैं।

आइए जानते हैं इस विषय में विस्तार से || Adverse Possession ||

आपको जानना चाहिए कि किरायेदार मकानमालिक की संपत्ति पर अपना अधिकार दावा नहीं कर सकता। हालाँकि, किरायेदार मकान पर अपना अधिकार व्यक्त कर सकता है कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में। किरायेदार को संपत्ति का एडवर्स पजेशन प्राप्त है, इसलिए वह इस स्थिति में संपत्ति का मालिक माना जाता है। लिमिटेशन एक्ट, 1963 में कहा गया है कि निजी संपत्ति पर लिमिटेशन की वैधानिक अवधि बारह वर्ष है। कब्जे के पहले दिन से यह अवधि शुरू होती है। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि मकान, दुकान को किराये देते समय रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाना चाहिए। रेंट एग्रीमेंट का इस्तेमाल आप एक सबूत के तौर पर कर सकते हैं कि संपत्ति संबंधित व्यक्ति को किराये पर दिया है।

Focus keyword