Success Story in Hindi || आंगनबाड़ी से UPSC तक पहुंची आदिवासी बेटी, चौथे अटेम्प्ट में मिली 257वीं रैंक, अब IAS बनेगी मनीषा

Success Story in Hindi || आंगनबाड़ी से UPSC तक पहुंची आदिवासी बेटी, चौथे अटेम्प्ट में मिली 257वीं रैंक, अब IAS बनेगी मनीषा
Success Story in Hindi

Success Story in Hindi ||  खरगोन के झिरनिया ब्लॉक के बोंदरान्या गांव की 23 वर्षीय Manisha Dharve ने UPSC 2023 में 257वीं रैंक हासिल की है। Manisha Dharve ने UPSC 2023 में अपने चौथे प्रयास में सफलता हासिल की, हालांकि पहले तीन बार असफल रही थी। Manisha Dharve ने इस सफलता और अपने सपने को पूरा करने के लिए कठिन यात्रा तय की है। Manisha Dharve के पिता गंगाराम धार्वे, एक इंजीनियर थे, लेकिन वे अपनी नौकरी छोड़कर गांव के बच्चों को पढ़ाना चाहते थे। मां जमना धार्वे और पिता गंगाराम धार्वे दोनों सरकारी स्कूलों में शिक्षक हैं, इसी उद्देश्य से। Manisha Dharve की सफलता ने परिवार को खुश कर दिया है। माता-पिता ने Manisha Dharve की कोशिशों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उसके सफल होने से पूरे समुदाय को प्रेरणा मिलेगी।

आंगनवाड़ी से  हुई शिक्षा की शुरूआत

Manisha Dharve ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही आंगनवाड़ी से शुरू की, जहाँ उन्होंने पांच साल बिताए। वे पहली से आठवीं तक गांव के सरकारी स्कूल में पढ़े। खरगोन के उत्कृष्ट विद्यालय में कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई हुई। ग्यारहवीं में Manisha Dharve ने मैथ्स और बायो दोनों विषयों को चुना क्योंकि उसे सीखने की इच्छा थी। 10वीं में 75 प्रतिशत और 12वीं में 78 प्रतिशत अंक हासिल करके इंदौर के होलकर कॉलेज से बीएससी कंप्यूटर साइंस की डिग्री प्राप्त की। साथ ही Manisha Dharve ने पीएससी की तैयारी भी शुरू की।  लेकिन उनके मित्रों ने उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने की सलाह दी। तब से Manisha Dharve ने निश्चय कर लिया कि अब उसका लक्ष्य कलेक्टर बनना है।

जब Manisha Dharve ने अपने परिवार को बताया कि वह दिल्ली में UPSC की तैयारी करना चाहती है, तो वे सहमत नहीं हुए। माता पिता को डर था कि अकेले दिल्ली जैसे बड़े शहर में Manisha Dharve को कैसे भेजा जाएगा। फिर Manisha Dharve अपने दोस्त के साथ बिना किसी को बताए दिल्ली आ गई और वहाँ रहने और कोचिंग के सभी प्रबंधों को देखा. फिर घर लौटकर अपने माता-पिता को बताया। डिग्री पूरी करने के बाद Manisha Dharve को उनके माता-पिता ने दिल्ली भेज दिया क्योंकि वे मानते थे कि वह दिल्ली जैसे शहर में रह सकती है।

तीन बार असफल रहे, फिर भी 

2020 में Manisha Dharve ने अपनी पहली UPSC परीक्षा दी, लेकिन कुछ अंकों से वह फेल हुईं। बाद में वह घर लौट आई और गाँव में प्रकाश नहीं होने पर तैयारी करने के लिए झिरनिया चली गई। 2021 में अपने दूसरे प्रयास में उसके पास सिर्फ एक प्रश्न था। इंदौर में Manisha Dharve ने तीसरी बार परीक्षा दी। Manisha Dharve को लगा कि वे इस बार भी सफल होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2023 में फिर से परीक्षा देने के लिए वह दिल्ली पहुंची। इस बार Manisha Dharve की मेहनत रंग लाई और उनका सपना कलेक्टर बनना हुआ।

Manisha Dharve से इंटरव्यू में सवाल पूछा गया कि, ''आपका क्षेत्र आज भी विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है, इसे आप कैसे देखती हैं?'' यह उनके लिए एक प्रेरक सवाल था। Manisha Dharve ने जवाब दिया कि सरकार गांव तक पहुंचेगी तो लोगों का विकास होगा। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है, इसीलिए वे आगे बढ़ पायीं।

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