Success story || जानिए लैंप की रोशनी में पढ़कर IAS बनने वाले अंशुमन राज की सफलता की कहानी
लैंप की रोशनी में की पढ़ाई, बगैर कोचिंग के बने IAS अफसर, घर से की UPSC की तैयारी || IAS Anshuman Raj Success Story in Hindi.
Success story || ग्रेजुएशन के बाद वह गांव आ गए और वहीं रहकर यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया।आज जो कहानी हम आपको बता रहे हैं वो इसका जीता जागता उदाहरण है.कौन हैं अंशुमन राज? गांव में यूपीएससी की कोचिंग तो बहुत
IAS Anshuman Raj Success Story in Hindi. || अगर इंसान में कुछ करने का जज्बा हो तो वह हर समस्या (problem) का सामना करके अपना लक्ष्य हासिल कर लेता है। आईएएस अंशुमन राज एक गरीब परिवार (poor family) से हैं। बिहार का रहने वाला अंशुमन इतना गरीब था कि आर्थिक तंगी के कारण वह मिट्टी के तेल के लैंप की रोशनी में बैठकर पढ़ाई करता था। लेकिन परेशानियां कभी उनके हौसलों के आड़े नहीं आईं और आज वह एक आईएएस अधिकारी (ias officer) हैं।
IAS Anshuman Raj Success Story in Hindi.
अंशुमान का जन्म बिहार के बक्सर में एक साधारण परिवार (family) में हुआ था। अंशुमन के पिता का गाँव में छोटा सा व्यवसाय था, लेकिन एक समय व्यवसाय में भारी घाटा हुआ। ऐसे समय में परिवार को घर के खर्च में भी दिक्कत (problem) होने लगी, तब अंशुमन लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते थे. अंशुमान ने 10वीं तक की पढ़ाई गांव के स्कूल में की. इसके बाद वह 12वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए रांची चले गए। उसके बाद उन्होंने बी.टेक (btech) किया और फिर गांव वापस आ गए।खुद से की यूपीएससी की पढ़ाई || IAS Anshuman Raj Success Story
ग्रेजुएशन के बाद वह गांव आ गए और वहीं रहकर यूपीएससी (upsc) की तैयारी करने का फैसला किया।आज जो कहानी हम आपको बता रहे हैं वो इसका जीता जागता उदाहरण है.कौन हैं अंशुमन राज? गांव में यूपीएससी की कोचिंग तो बहुत दूर थी, अंग्रेजी अखबार भी नहीं मिलता था, इसलिए उन्होंने ऑनलाइन संसाधनों (online mediums) का सहारा लिया।यूपीएससी के पहले और दूसरे प्रयास में अंशुमन को सफलता नहीं मिली, इसके बाद भी वे निराश नहीं हुए बल्कि और मेहनत करने लगे. नतीजा यह हुआ कि तीसरे प्रयास में अंशुमान को सफलता मिल गई और उनका चयन आईआरएस (irs) के लिए हो गया, लेकिन उनका जुनून उन्हें यहीं नहीं रोक सकाl
बीमारी के चौथे प्रयास में || IAS Anshuman Raj Success Story in Hindi.
अंशुमन आईआरएस से संतुष्ट नहीं हुए और फिर से अगले प्रयास के लिए जुट गये।इस बार उनकी तैयारी पूरी थी, लेकिन उनकी किस्मत में अभी और संघर्ष लिखा था. 2019 में मुख्य परीक्षा (main examination) से कुछ दिन पहले उन्हें अपेंडिक्स में बहुत तेज दर्द हुआ. अंशुमन के मुताबिक जिंदगी में कोई भी बाधा इतनी बड़ी नहीं है जो इंसान को उसके सपने पूरे करने से रोक सके. अंशुमान आज मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में एसडीएम (sdm) के पद पर नियुक्त हैं। इस भयानक दर्द में भी अंशुमन ने मेन्स परीक्षा दी, इस बार उन्हें अनुकूल परिणाम मिलेl अपने चौथे प्रयास में, अंशुमान को 107वीं रैंक मिली और उन्हें आईएएस के लिए चुना गया।यूपीएससी परीक्षा का नतीजा अंशुमान के लिए अच्छी खबर लेकर आया.अंशुमान ने यह साबित (prove) कर दिया है कि अगर इंसान चाहे तो जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है।