Premanand Maharaj || इस देश की इस नदी में स्नान करने से दूर हो जाते पाप, जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्या दिया जवाब

Premanand Maharaj ||   हर दिन हजारों लोग वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज से मिलने आते हैं और उनसे विभिन्न प्रश्न पूछते हैं। कुछ लोगों के अजीब प्रकार के सवार महाराज से पूछते है। बाबा हर व्यक्ति को अपने बच्चों को खुश करने और उन्हें भगवद मार्ग पर लाने का प्रयास करते हैं।
Premanand Maharaj || इस देश की इस नदी में स्नान करने से दूर हो जाते पाप, जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्या दिया जवाब
Premanand Maharaj || Image credits ।। Cenva

Premanand Maharaj ||   हर दिन हजारों लोग वृंदावन के संत Premanand Maharaj से मिलने आते हैं और उनसे विभिन्न प्रश्न पूछते हैं। कुछ लोगों के अजीब प्रकार के सवार महाराज से पूछते है। बाबा हर व्यक्ति को अपने बच्चों को खुश करने और उन्हें भगवद मार्ग पर लाने का प्रयास करते हैं। कुछ दिनों पहले, एक व्यक्ति ने पिता से पूछा कि "जब भगवान के लिए संपूर्ण पृथ्वी एक समान है तो वे बार-बार भारत भूमि पर ही क्यों जन्म लेते हैं?"आगे पढ़ें प्रेमानंद बाबा ने क्या कहा..।

ये उत्तर प्रेमनाथ बाबा ने दिया

Premanand Maharaj ने कहा, "वैसे तो भगवान सभी के अंदर विराजमान हैं लेकिन वे सिर्फ भक्तों के ह्रदय में ही क्यों प्रकाशित होते हैं, सबके ह्रदय में क्यों नहीं प्रकाशित होते?" इसकी वजह यह है कि भगवान को प्रसन्न करने वाले लोगों ने भक्ति के माध्यम से अपने मन को मार्जन किया है और अविद्या को दूर कर दिया है। उसी तरह, संतों और महाभागवतों की भूमि पूरे विश्व में भारत ही है। इसलिए भगवान केवल यहीं आते हैं।’

भारत की धरती बहुत पवित्र है

Premanand Maharaj || इस देश की इस नदी में स्नान करने से दूर हो जाते पाप, जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्या दिया जवाब
Premanand Maharaj || Image credits ।। Cenva
Premanand Maharaj ने कहा, "किस देश की नदी ऐसी है, जहां स्नान करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं।" भारत ही ऐसा कर सकता है। बड़े-बड़े ऋषि मुनि यहां की मिट्टी को स्पर्श करने की याजना करते हैं। भगवान ने अवध, काशी, वृंदावन और द्वारिका में जन्म लेकर इन जगहों को बहुत पवित्र किया क्योंकि इन जगहों में बड़े-बड़े संत हुए थे। यहां आने वाले विदेशी भी चोटी, धोती, कंठी और माला पहनते हैं। इस धरती पर यह महानता है।’

तीनों देशों में कहीं नहीं

Premanand Maharaj ने कहा, "पूरे विश्व में तो क्या तीनों लोकों में भारत जैसी कोई जगह नहीं है।" ये कर्म, धर्म, ज्ञान और प्रेम के क्षेत्र हैं। महाभारत के लेखक महर्षि वेदव्यास ने कहा कि भारत में जन्म लेना बड़ा भाग्य और सुख का प्रतीक है।’