हिमाचल निर्माता डॉ. परमार के गांव की दुर्दशा पर सदन में गरजीं MLA रीना कश्यप, सरकार को दिखाया आईना

जिसने हिमाचल बनाया, आज उसी का गांव बेहाल
सदन में एक संकल्प पर बोलते हुए रीना कश्यप ने कहा कि मैं खुद उसी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं जहां से डॉ. परमार आते थे। उन्होंने कहा कि "यह मेरे लिए गर्व का विषय है कि मैं उस क्षेत्र से आती हूं जहां से हिमाचल के निर्माता डॉ. परमार जी थे। लेकिन आज जब मैं उनके अपने गांव की हालत देखती हूं तो बहुत दुख होता है। उन्होंने बताया कि डॉ. परमार के पैतृक गांव चनालग में बने उप-स्वास्थ्य केंद्र पर बड़े-बड़े ताले लटके हुए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को संबोधित करते हुए कहा, माननीय मंत्री जी मैंने पिछले बजट सत्र में भी यह मुद्दा उठाया था। आप संकल्प लाए हैं, हम आपके साथ हैं, लेकिन आप जमीनी हकीकत तो देखिए। अगर आप सच में संकल्प को पूरा करना चाहते हैं तो उस उप-स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कीजिए, तब मैं आपका संकल्प मानूंगी।
रीना कश्यप यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने बताया कि जिस स्कूल में डॉ. परमार ने अपनी शुरुआती शिक्षा ग्रहण की आज वहां बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचर तक नहीं हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्री से निवेदन किया कि उस स्कूल को 'आदर्श विद्यालय' घोषित किया जाए ताकि वहां अच्छी सुविधाएं और बेहतर शिक्षक उपलब्ध हो सकें। उन्होंने हाल ही में 4 अगस्त को हुई डॉ. परमार की जयंती पर आयोजित सरकारी कार्यक्रम पर भी दुख जताया। उन्होंने कहा, "जब हमारी भाजपा सरकार थी, तो पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी पीटरहॉफ में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करते थे, जिसमें डॉ. परमार के परिवारजनों और हमारे क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों को बुलाकर सम्मानित किया जाता था। लेकिन इस बार के कार्यक्रम में न तो सरकार के कई मंत्री मौजूद थे और न ही खुद मुख्यमंत्री जी। इससे बुरा और क्या हो सकता है।
क्या थी परमार की प्राथमिकता?
रीना कश्यप ने डॉ. परमार के विजन को याद करते हुए कहा, "जब हिमाचल का निर्माण हुआ और उनसे पूछा गया कि आपकी प्राथमिकता क्या है, तो उन्होंने कहा था- पहली प्राथमिकता सड़क, दूसरी प्राथमिकता सड़क और तीसरी प्राथमिकता भी सड़क।" क्योंकि वे जानते थे कि पहाड़ी प्रदेश का विकास बिना सड़कों के संभव नहीं है। उन्होंने छोटी-छोटी रियासतों को जोड़कर जिस हिमाचल का निर्माण किया, आज उसी के निर्माता के गांव को भुला दिया गया है। उन्होंने सरकार से निवेदन किया कि डॉ. परमार की जयंती को सिर्फ एक रस्म तक सीमित न रखा जाए, बल्कि उनके पैतृक पंचायत को 'आदर्श पंचायत' बनाकर और वहां सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जाए।