Monsoon Session Of Himachal Assembly: हिमाचल विधानसभा में जोरदार हंगामा, विपक्ष के वॉकआउट से हुआ मॉनसून सत्र का आगाज, CM बोले-राजनीति कर रहा विपक्ष

Monsoon Session Of Himachal Assembly: धर्मशाला: हिमाचल विधानसभा का मॉनसून सत्र (Monsoon Session Of Himachal Assembly) सोमवार से शुरू हुआ । इसका आगाज राज्य पर बरसी आपदा के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे से हुआ , जो फिर नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion Under Rule 67) पर चर्चा की मांग को लेकर […]

Monsoon Session Of Himachal Assembly: धर्मशाला: हिमाचल विधानसभा का मॉनसून सत्र (Monsoon Session Of Himachal Assembly) सोमवार से शुरू हुआ । इसका आगाज राज्य पर बरसी आपदा के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे से हुआ , जो फिर नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion Under Rule 67) पर चर्चा की मांग को लेकर वॉआउट से हुआ । इस बीच विधानसभा ने हिमाचल प्रदेश की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है। विपक्ष से भी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस निर्णय का समर्थन करने का अनुरोध किया। 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव
स्पीकर की व्यवस्था के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया, जिस पर विपक्ष ने सदन में ही जोरदार नारेबाजी की। कुछ देर बाद विपक्ष ने सदन छोड़ दिया। विपक्ष करीब आधे घंटे बाद सदन में वापस आया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि आपदा से 9000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ है और 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक का अप्रत्यक्ष नुकसान हुआ है। 441 लोग मर चुके हैं। जीवन क्षेत्र बहुत प्रभावित हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है और आपदा पर गंभीर नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि नियम 67 के तहत चर्चा का मतलब स्थगन प्रस्ताव
उधर, बहिर्गमन के बाद प्रेस से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि नियम 67 के तहत चर्चा का मतलब स्थगन प्रस्ताव है। विपक्ष चाहता है कि विधानसभा की बाकी सारी कार्यवाही स्थगित करके हिमाचल प्रदेश में हुई दुर्घटना पर चर्चा की जाए। इसलिए, हमने नियम 67 के अंतर्गत इसे प्रस्तुत करते हुए तत्काल चर्चा की मांग की है। हम पहले से ही केंद्र से मदद मांग रहे हैं और विपक्ष ने हमेशा कहा है कि हम इस आपदा की घड़ी में केंद्र से जितनी भी मदद मांगेंगे। प्रदेश सरकार की ओर से प्रबंधन की ओर से किए जाने वाले प्रयासों के साथ वे सहमत हैं। केंद्र सरकार (Central Government) को इसका पूरा दोष देना चाहते हैं। प्रदेश सरकार सबसे ज़्यादा जिम्मेदार है और केंद्र सरकार लगातार मदद कर रही है और मदद करने का अनुरोध कर रही है। केंद्र ने अभी कहा नहीं कि हम नहीं करेंगे, इसलिए हम इस पूरे मुद्दे पर चर्चा के दौरान विचार करेंगे। लेकिन पहले, हमें लगता है कि इस पर चर्चा नियम 67 के अंतर्गत स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से होनी चाहिए, न कि सरकारी प्रस्ताव के माध्यम से।

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