Poor District of Himachal || गरीबी रेखा से निचे है हिमाचल का यह जिला, नाम सुनकर आप भी हो जाओगें हैरान

Poor District of Himachal || हिमाचल प्रदेश का यह जिला आजादी से पहले पूरे देश के लिए आदर्श और मिसाल था

Poor District of Himachal || हमारे देश की सबसे अधिक आबादी गांव में बसती है। ऐसे में हर गांव का विकास जरूरी है। आजादी के बाद हर क्षेत्र में हिमाचल तरक्की के कदम भरता रहा, लेकिन  रियासतकाल में देश भर में विकास
Poor District of Himachal || गरीबी रेखा से निचे है हिमाचल का यह जिला, नाम सुनकर आप भी हो जाओगें हैरान
Poor District of Himachal || This is the poorest district of Himachal, you will be surprised to hear the nam

Poor District of Himachal ||  हमारे देश की सबसे अधिक आबादी (population ) गांव में बसती है। ऐसे में हर गांव का विकास (development ) जरूरी है। आजादी के बाद हर क्षेत्र में हिमाचल तरक्की (progress) के कदम भरता रहा, लेकिन  रियासतकाल में देश भर में विकास का मॉडल (modal of development) पेश करने वाले चंबा को आजादी के बाद ऐसा ग्रहण लगा कि आज वह देश के सबसे गरीब जिलों की सूची में शुमार है। जब भी प्रदेश के सबसे गरीब जिले की बात आती है तो चम्बा (chamba) का नाम सबसे पहले सामने आता है। चम्बा में भरपूर प्राकृतिक संसाधनों (National resources) और विरासत में मिले विकास मॉडल को आखिर चंबा क्यों नहीं सहेज पाया, इसके कई कारण सामने आते हैं

चंबा शहर के माथे से गरीबी का दाग न मिटने की सबसे बड़ी वजह

एक हजार वर्ष पहले स्थापित (established) हुए पुराने चंबा शहर के माथे से गरीबी का दाग न मिटने की सबसे बड़ी वजह यहां की राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव रहा है। रियासतकाल में देश भर में विकास का मॉडल (mondal ) पेश करने वाले चंबा जिला को आजादी के बाद ऐसा ग्रहण लगा कि आज यह जिला देश और प्रदेश के सबसे गरीब जिले (poor District) के नाम से मशहूर है।इसका एक जबरदस्त उदहारण है कि आजादी के बाद विकास (development ) किस कद्र प्रभावित हुआ, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला में रियासतकालीन विकास की गवाह (witness) इमारतें भी देखरेख न होने से खंडहर में तबदील होकर रह गई हैं।

गरीबी (poor)  का दंश नहीं झेल रहा

अगर चम्बा जिला का पूरा और सही विकास (development ) करवाया गया होता तो आज चम्बा गरीबी (poor)  का दंश नहीं झेल रहा होता। चंबा जिला में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को लेकर राजनेताओं के बयान हमेशा खोखले साबित हुए हैं। विकास का सूचक कहे जाने वाले हाइड्रो पावर (hydro power) भी जिला के माथे से गरीबी का दाग नहीं मिटा पाए हैं। इन पावर प्रोजेक्टों से सालाना तौर पर मिलने वाली रायल्टी (royalty ) कहां और कैसे खर्च की जा रही है, इसका आज तक सार्वजनिक तौर पर कोई ब्यौरा नहीं मिल पाया है। इन पावर प्रोजेक्टों के निर्माण दौरान जिन लोगों को विस्थापित किया गया था। विस्थापन का दर्द सहने वाले लोग आज भी हक की लड़ाई को लेकर संघर्षरत हैं। दशकों से चंबा जिला में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों (National resources) का दोहन कर विकास का एक मॉडल बनाने के राजनेताओं के दावे भी हमेशा हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।

आजादी के बाद आज दिन तक सड़क सुविधा (road connectivity) से नहीं जुड़ पाए

जिला के अंदर अभी भी कई ऐसे गांव हैं, जो कि आजादी के बाद आज दिन तक सड़क सुविधा (road connectivity) से नहीं जुड़ पाए हैं। इन गांव का सड़कों से ना जुड़ पाने की सबसे बड़ी वजह वनभूमि है। वनभूमि में सड़क की अनुमति लेने की लंबी सरकारी प्रक्रिया से लोगों का सड़क सुविधा से जुड़ने का सपना (dream) साकार नहीं हो पाया है। आज दिन तक शिक्षा (education ) व स्वास्थ्य सुविधाओं (health facilities) के भी बेहतर न होने से लोग गुरबत की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हालांकि चम्बा कई मायनों में पूरे देशभर में प्रसिद्ध है। चम्बा मिंजर, यहां की हस्तशिल्प कला, पर्यटन (tourism) सहित कई ऐसे कार्य हैं जो इस जिला को गरीबी से बाहर निकलने में सक्षम है। चम्बा जिला को गरीबी से बाहर निकालने के लिए आम जन से लेकर राजनेताओं (politician) तक को काम करना पड़ेगा, और यहां की उस चीज़ पर ध्यान देना होगा जो इस जिला में मौजूद है।

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