Himachal News: सुप्रीम कोर्ट जाएगी हिमाचल की सुक्खू सरकार, हजारों सेब के पेड़ कटने के बाद आज आई याद
Himachal News: शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र में 2800 बीघा वन भूमि से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई तेज हो गई है। अब तक 3,659 फलदार सेब के पेड़ (apple trees) काटे जा चुके हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई को लेकर सियासी विवादभी गहरा गया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही हुई है। जानिए पूरी खबर


Himachal News: शिमला: हिमाचल प्रदेश के राजधानी शिमला के दायरे में आने वाले उपमंडल कोटखाई इलाके में वन विभाग (Forest Department) ने हाईकोर्ट (High Court) के आदेश पर अवैध कब्जे हटाने का अभियान तेज कर दिया है। इस कार्रवाई में अब तक 3,659 सेब के पेड़ काटे जा चुके हैं। जानकारी के मुताबिक करीब 13 परिवारों ने वन भूमि के 2800 बीघा हिस्से पर सेब के बागीचे उगा लिए थे।
साल 2014 में एक नागरिक द्वारा कोर्ट को भेजी गई चिट्ठी के आधार पर ये मामला शुरू हुआ था। कई सालों की सुनवाई (hearing) के बाद अब कोर्ट के आदेश पर यह सख्त कार्रवाई हो रही है। यह मुद्दा अब हिमाचल (Himachal) में सियासी रंग (political color) ले चुका है। राज्य सरकार इस पर बैकफुट पर नजर आ रही है क्योंकि कार्रवाई से प्रभावित बागवानों में भारी नाराज़गी है।
सीएम सुक्खू बोले, पेड़ों की कटाई नहीं चाहते, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
दिल्ली दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) ने शिमला में बयान दिया कि सरकार फलों से लदे पेड़ों की कटाई (tree cutting) के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर जल्द ही बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी (Horticulture Minister Jagat Singh Negi) के साथ बैठक की जाएगी और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने के विकल्पों पर विचार किया जाएगा। सीएम ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट राज्य सरकार की दलीलें (arguments) सुनने को तैयार नहीं है।
कोटखाई के चैथला क्षेत्र में जब वन भूमि से अवैध कब्जा हटाया गया तो कई सेब और अन्य फलों के पेड़ भी काट दिए गए। इससे स्थानीय लोगों और बागवानों (apple growers) में भारी रोष (anger) है। सरकार की दलील है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई (indiscriminate cutting) न केवल पर्यावरण (environment) के लिए नुकसानदायक है, बल्कि इससे आम लोगों की आजीविका (livelihood) भी प्रभावित होती है। इसीलिए अब इस मामले में अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट से मांगा जाएगा।