Chamba Pangi News: पांगी के थांदल में बड़ी धूमधाम से मनाया मिनिहाच मेला, धारवाली माता को है समर्पित

Chamba Pangi News: हिमाचल प्रदेश की दुर्गम और खूबसूरत पांगी घाटी (Pangi Valley) सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी रहस्यमयी परंपराओं और मान्यताओं के लिए भी जानी जाती है। इसी घाटी के थांदल गांव में हर साल 'मिनिहाच मेला' (Minhach Fair) मनाया जाता है, जो धारवाली माता को समर्पित है। 

 
Devotees in traditional attire gathered during the Minhach Fair on the high hills of Thandal Dhar in Pangi Valley

Image caption: Devotees in traditional attire gathered during the Minhach Fair on the high hills of Thandal Dhar in Pangi Valley

पांगी (चंबा): हिमाचल प्रदेश जिसे 'देवभूमि' के नाम से जाना जाता है अपनी गोद में न जाने कितने रहस्य और अनूठी परंपराएं समेटे हुए है। चंबा जिले की पांगी घाटी भी एक ऐसी ही जगह है, जहां प्रकृति, आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। हाल ही में, यहां के ग्राम पंचायत पुर्थी के थांदल गांव में पारंपरिक 'मिनिहाच मेला' बड़ी धूमधाम से मनाया गया। समुद्र तल से लगभग दो हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सुगातण मैदान में आयोजित यह मेला जहां एक ओर धारवाली माता के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह एक ऐसी रहस्यमयी मान्यता से भी जुड़ा है जो आपको हैरान कर देगी।

धारवाली माता की आस्था और सांस्कृतिक मिलन
हर साल की तरह इस साल भी यह मेला पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंदिर के पुजारी सुभाष ने बताया कि यह मेला इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस मेले में न सिर्फ पांगी घाटी के लोग, बल्कि पड़ोसी लाहौल घाटी के लोग भी बड़ी संख्या में और बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।  जिससे यह दो घाटियों का एक खूबसूरत सांस्कृतिक संगम बन जाता है। मेले के दौरान प्रजा कमेटी की ओर से एक विशाल लंगर का आयोजन किया गया।  जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण किया और माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।

'बिसुरवाणी' का रहस्य: जहां आत्माएं अपनी यादें मिटाती हैं
इस मेले की सबसे हैरान करने वाली और रोचक कहानी जुड़ी है थांदल धार पर स्थित एक रहस्यमयी जल स्रोत से जिसे स्थानीय लोग 'बिसुरवाणी पानी' कहते हैं। 'बिसुरवाणी पानी' का मतलब है 'विस्मृति का जल' या 'यादें भुला देने वाला पानी'। स्थानीय लोगों की सदियों पुरानी मान्यता के अनुसार, जब किसी मनुष्य की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा इसी थांदल धार से होकर अपनी अगली योनि में प्रवेश करती है। लेकिन अगली यात्रा शुरू करने से पहले, वह आत्मा इस 'बिसुरवाणी' का जल पीती है, जिससे उसे पृथ्वी लोक की अपनी सभी यादें, रिश्ते-नाते और मोह-माया भूल जाती है। यह मान्यता इस स्थान को एक आध्यात्मिक और रहस्यमयी औरा प्रदान करती है।

अद्भुत प्राकृतिक पहेली: दिखता है पर मिलता नहीं
इस पानी की कहानी सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती। इसकी एक और खासियत है जो विज्ञान को भी चुनौती देती प्रतीत होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह पानी दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे चट्टानों के ऊपर से बह रहा हो, एक सफेद चादर की तरह। लेकिन जैसे ही आप इसके नजदीक जाने की कोशिश करते हैं, यह पानी रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाता है। आपको वहां सिर्फ उन्हीं चट्टानों के बीच से आते पानी का तेज शोर सुनाई देगा, लेकिन पानी की एक बूंद भी नजर नहीं आएगी। यह अद्भुत प्राकृतिक घटना आज भी लोगों के लिए एक पहेली बनी हुई है और उनकी आस्था को और भी मजबूत करती है।

पर्यटन की अपार संभावनाएं
पांगी घाटी का थांदल धार ऐसी ही न जाने कितनी अनसुनी कहानियों और रहस्यों को छिपाए हुए है। यह क्षेत्र न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें पर्यटन (Tourism) की भी अपार संभावनाएं हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और रहस्यमयी लोक-कथाएं साहसिक और आध्यात्मिक पर्यटकों को अपनी ओर खींच सकती हैं। अगर सरकार और प्रशासन इस क्षेत्र के विकास पर ध्यान दें, तो यह घाटी हिमाचल के पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सकती है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। 
रंजना राणा

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