Chamba Pangi News: पांगी के इस स्कूल ने बंजर जमीन को बना दिया मिड-डे मील गार्डन, मिंधल स्कूल बना बदलाव की मिसाल

Chamba Pangi News: मिंधल स्कूल की यह कहानी यह साबित करती है कि यदि इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास हो, तो पहाड़ जैसी चुनौतियों को भी आसान बनाया जा सकता है।
 
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले  के पांगी मिंधल स्कूल के बच्चे अपने अध्यपकों के साथ मिडे मील गाडन में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले  के पांगी मिंधल स्कूल के बच्चे अपने अध्यपकों के साथ मिडे मील गाडन में
  • मिंधल स्कूल की प्रेरणादायक पहल: बंजर ज़मीन पर उगाई सब्ज़ियां, बच्चों को परोसा पोषण

  • शिक्षा के साथ स्वावलंबन: पांगी में मिंधल स्कूल बना बदलाव की मिसाल

  • मिड-डे मील के लिए उगाई सब्जियां, अध्यापकों और छात्रों की अनोखी पहल

Chamba Pangi News:  पांगी: चंबा जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी के राजकीय हाई स्कूल मिंधल के साथ लगते बंजर पड़ी जमीन को उपजाऊ बना कर वहां एक मिड-डे मील गार्डन तैयार किया गया है। इस गार्डन में मटर, राजमा, बीन्स, पालक, हरी मिर्च, धनिया, टमाटर, मूली, गाजर, प्याज, खीरा और पुदीना जैसी विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाई गई हैं। अब यह स्कूल पांगी घाटी का पहला ऐसा शिक्षण संस्थान बन गया है, जहां सप्ताह के चार दिन बच्चों को मिड-डे मील में ताजा और घर की उगी हुई सब्जियां परोसी जाती हैं।

Chamba Pangi News: राजकीय हाई स्कूल मिंधल स्टाफ

शिक्षकों ने पेश की मिसाल, हर महीने देते हैं वेतन से योगदान

प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मिड-डे मील योजना केवल छठी से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए लागू होती है। लेकिन मिंधल स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों ने इसे केवल एक सरकारी योजना न मानकर इसे एक सामाजिक दायित्व बना लिया है। स्कूल के मुख्य अध्यापक इश्वर दत ने बताया कि सभी शिक्षक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हर महीने अपनी सैलरी से एक निश्चित राशि मिड-डे मील फंड में देते हैं, ताकि नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए भी मिड डे मील में भोजन बनाया जाए। यहां तक कि अध्यापकों ने अपनी जेब से पैसे जुटाकर जेसीबी मशीन मंगवाई और बंजर जमीन को समतल करवाया। इसके बाद वहां बाड़बंदी कर एक व्यवस्थित गार्डन तैयार किया गया। इस पहल में न केवल स्कूल स्टाफ ने सहयोग दिया, बल्कि छात्र-छात्राओं ने भी अपने खाली समय में खेतीबाड़ी में भाग लिया और पौधों की देखभाल की।

राजकीय हाई स्कूल मिंधल स्टाफ

जब इस सराहनीय प्रयास की जानकारी शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर को मिली, तो उन्होंने इसे अनुकरणीय बताया। उन्होंने कहा, "हमने पहले ही प्रदेश के सभी स्कूलों को मिड-डे मील गार्डन विकसित करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन यह देखकर प्रसन्नता हुई कि दुर्गम क्षेत्र पांगी जैसे इलाके में यह सपना साकार हुआ है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस मॉडल को अन्य क्षेत्रों में भी लागू करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे। उन्होंने मिंधल स्कूल के स्टाफ और बच्चों को बधाई दी और उनके प्रयासों को सराहा। इस पहल का असर अब बच्चों की सेहत और पढ़ाई पर भी दिखने लगा है। बच्चों को हर सप्ताह ताजी और पौष्टिक सब्जियां मिल रही हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। वहीं, अभिभावक भी स्कूल की इस पहल से बेहद संतुष्ट हैं। मिंधल स्कूल की यह कहानी यह साबित करती है कि यदि इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास हो, तो पहाड़ जैसी चुनौतियों को भी आसान बनाया जा सकता है। शिक्षा के साथ-साथ पोषण और खेती को जोड़कर यह स्कूल आज प्रदेशभर के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।