Success Story: दिन में Swiggy की डिलीवरी, रात में की पढ़ाई, अब डिप्टी कलेक्टर बनेगा यह लड़का

Suraj Yadav Success Story: यह कहानी है झारखंड के गिरिडीह के रहने वाले सूरज यादव की, जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती। घर की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण दिन में स्विगी डिलीवरी बॉय (Swiggy Delivery Boy) और बाइक टैक्सी ड्राइवर का काम करने वाले सूरज ने रात-रात भर जागकर पढ़ाई की और अपने दूसरे ही प्रयास में जेपीएससी (JPSC) की परीक्षा पास कर ली। अब वह जल्द ही डिप्टी कलेक्टर बनेंगे।
 
Suraj Yadav Success Story: 

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Suraj Yadav Success Story:  मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।" - यह पंक्तियां झारखंड के सूरज यादव की जिंदगी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। सूरज की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो गरीबी और मुश्किलों को अपनी सफलता के रास्ते का रोड़ा मान लेते हैं। एक साधारण से मिस्त्री के बेटे सूरज ने दिन में खाना डिलीवर किया, बाइक टैक्सी चलाई और रात में किताबों से दोस्ती की, और आज उसी मेहनत के दम पर वह अफसर बनने जा रहे हैं।

Suraj Yadav Success Story: डिलीवरी बॉय से डिप्टी कलेक्टर तक का सफर 
सूरज का जन्म गिरिडीह के कपिलो गांव में एक बेहद साधारण परिवार में हुआ। पिता मिस्त्री थे और घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सकें। लेकिन सूरज ने कभी हार नहीं मानी। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद वह सपनों को नई उड़ान देने के लिए रांची आ गए। यहां पेट पालने और पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उन्होंने स्विगी में डिलीवरी बॉय (Swiggy Delivery Boy Story) और बाइक टैक्सी ड्राइवर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया।

Suraj Yadav Success Story: जब दिन काम में, तो रात पढ़ाई में बीती
डिलीवरी का काम उनकी पढ़ाई का एक जरिया था, लेकिन मंजिल नहीं। सूरज जानते थे कि उन्हें जिंदगी भर यह काम नहीं करना है। दिन भर सड़कों की धूल फांकने और लोगों के घरों तक खाना पहुंचाने के बाद जब रात में शरीर थक कर चूर हो जाता था, तब सूरज का असली संघर्ष शुरू होता था। वह रात-रात भर जागकर अपनी किताबों में खो जाते थे। उन्होंने दो साल तक हजारीबाग में बच्चों को पढ़ाया भी, ताकि कुछ अतिरिक्त पैसे कमा सकें। इस मुश्किल सफर में उनके दोस्तों ने भी खूब साथ दिया और अपने स्कॉलरशिप के पैसों से उन्हें एक सेकेंड हैंड बाइक खरीदकर दी, जिससे उन्हें काम और पढ़ाई को मैनेज करने में थोड़ी आसानी हुई।

Suraj Yadav Success Story: परिवार बना सबसे बड़ी ताकत
सूरज खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि इस कठिन समय में उनका परिवार उनकी ढाल बनकर खड़ा रहा। उनकी बहन ने घर की सारी जिम्मेदारियां अपने कंधों पर ले लीं ताकि सूरज का ध्यान न भटके। उनकी पत्नी और दोस्तों ने भी उन्हें कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया और हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया।

Suraj Yadav Success Story: और एक दिन मेहनत रंग लाई
लगातार संघर्ष और बिना थके की गई तैयारी का फल आखिरकार सूरज को मिला। उन्होंने अपने दूसरे ही प्रयास में झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC 2023) की परीक्षा में 110वीं रैंक हासिल कर सफलता का परचम लहरा दिया। दिलचस्प बात यह है कि जब इंटरव्यू में उनसे डिलीवरी बॉय के काम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बिना झिझके और पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया कि इस काम ने उन्हें समय प्रबंधन और लॉजिस्टिक्स का वो हुनर सिखाया है, जो उन्हें एक बेहतर अधिकारी बनने में मदद करेगा। जब सूरज ने परीक्षा पास करने की खबर सबसे पहले अपनी पत्नी को फोन पर सुनाई, तो खुशी के मारे उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। सूरज यादव की यह कहानी बताती है कि अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और परिवार का साथ हो, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।

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