Success Story of Mahmood Akram : इस युवक के पास है 400 से अधिक भाषाओं का ज्ञान, 19 साल की उम्र में तोड़ा World रिकाॅर्ड, यहां से कर रहे पढ़ाई

Success Story of Mahmood Akram in Hindi:  सिर्फ 19 साल की उम्र में चेन्नई के महमूद अक़राम ने 400 से ज्यादा भाषाएं पढ़ने, लिखने और टाइप करने का हुनर हासिल कर लिया है. वे अब तक दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं और उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है. यहां Success Story of Mahmood Akram पढ़ें और जानें इनके बारे में.
 
Success Story of Mahmood Akram

Image caption: Success Story of Mahmood Akram

Success Story of Mahmood Akram in Hindi:  आज हम आपको 19 साल में दुनिया को हैरान कर देने वाले युवक के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं । जिसे महज 19 साल की उम्र में 46 भाषण का ज्ञान प्राप्त कर लिया हुआ था चलिए जानते हैं Mahmood Akram की एक दिलचस्प कहानी के बारे में। चेन्नई शहर से रहने वाले एक ऐसे लड़का जिन्होंने 46 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया हुआ था और मौजूदा समय वह 400 से ज्यादा भाषण पढ़ लिख और टाइप कर सकता है। सोचिए जब हम एक भाषा भी ठीक से नहीं बोल पाते हैं तो अकरम जैसे युवक के लिए इतनी सारी भाषाएं सीखना और इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी सफलताएं हासिल करना कितनी बड़ी बात हो सकती है।

Mahmood Akram को यह हुनर उन्हें विरासत से मिला हुआ है उनके पिता शिल्बी मोजिप्प्रियन को 16 भाषाओं का ज्ञान था जो Mahmood Akram  सिर्फ 4 साल के थे तभी से उन्होंने यह भाषण सीखना शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने पापा को देखकर लगातार सभी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते थे और उन्होंने यह बात ठान ली थी कि वह भविष्य में कुछ बड़ा करेंगे और उनका यह सपना आज पूरा भी हुआ है। आज युवक ने कई वर्ल्ड रिकॉर्ड मैं अपना नाम दर्ज किये हुए है। जहां बच्चे उसे उम्र में खेलने लगते हैं लेकिन Mahmood Akram ने ट्टेलुट्टु, ग्रंथ, और ब्राह्मी जैसी पुरानी तमिल लिपियों को पढ़ना और समझना सीख लिया था। 8 साल की उम्र में मसूद अकरम ने 50 भाषाएं सीख ली हुई थी। इसके लिए ज्यादातर उन्होंने इंटरनेट की मदद ले जिसमें इन भाषाओं का ज्ञान और किताबें लिखी हुई होती थी। कमल की बात यह है कि 8 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया का सबसे कम उम्र वाला बाइलिंगुअल टाइपिस्ट का खिताब अपने नाम किया हुआ था। 10 साल की उम्र में उन्होंने 20 भाषण और भारत का राष्ट्रीय गान सिर्फ 1 घंटे में टाइप किया हुआ था । राष्ट्रगान को उन्होंने 1 घंटे में कई भाषाओं में टाइप किया हुआ था और इसका अवार्ड भी अपने नाम किया हुआ है। इसके लिए उन्होंने German Young Talent Award और एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी मिला हुआ है।

महसूद की कहानी बताती है कि अगर मन में सच्चाई हो तो सही दिशा मिले और सपना बड़ा क्यों नहीं हो उसे पूरा करना कोई बड़ी बात नहीं होती है छोटी सी उम्र में की गई मेहनत आगे चलकर उनके नाम बना देगी । उन्होंने कभी सोचा नहीं था अगर आप ही कुछ ऐसा सीखना चाहते हैं तो आज ही शुरुआत करें क्योंकि समय अभी आपके पास है अगर अपने सपनों को सच करने का सोच रहे हैं तो मसूद अकरम जैसी प्रेरणादायक कहानी आप अपनी खुद की भी दिखा सकते हैं। वहीं मौजूदा समय में महसूद अकरमऑस्ट्रिया की डैन्यूब इंटरनेशनल स्कूल में स्कॉलरशिप भी मिली हुई है वह भारत और यूके से दोनों जगह से पढ़ाई कर रहे हैं इतना ही नहीं उनकी सबसे प्यारी भाषा तमिल है । 

Success Story: महमूद अकरम की उपलब्धियां 

उम्र उपलब्धि
4 वर्ष अंग्रेजी सीखी
6 वर्ष प्राचीन तमिल लिपियों में पारंगत
8 वर्ष 50 भाषाएं सीखीं
8 वर्ष पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड-सबसे कम उम्र के बाइलिंगुअल टाइपिस्ट
10 वर्ष दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड- 20 भाषाओं में राष्ट्रगान टाइप किया
10+ सम्मान-जर्मन यंग टैलेंट अवॉर्ड
19 (वर्तमान) उच्च शिक्षा-भारत और UK से डिग्रियां

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