हाथरस हादसे में नया खुलासा: सेवादारों ने रोक दी मदद, भड़क उठे ग्रामीण युवा; बचाव में लगी देर से गई कई जानें
हाथरस हादसे में नया खुलासा हुआ है।लोगों को अस्पताल पहुंचाने वाले लोगों का आरोप है कि भोले बाबा के सेवादारों ने उन्हें घायलों को गड्ढे में गिरे लोगों को निकालने और अस्पताल ले जाने से रोका। सेवादारों का अवरोध: हाथरस के फुलरई में सत्संग के दौरान हुए हादसे में भोले बाबा के सेवादारों ने मददगार ग्रामीणों को गड्ढे में गिरे लोगों को निकालने और अस्पताल ले जाने से रोका, जिससे बचाव कार्यों में देरी हुई।
ग्रामीणों की सक्रियता: मुगलगढ़ी, बरई सहायपुर, बमनहार गड़िया, और अन्य गांवों के युवा घटना के बाद मौके पर पहुंचकर सत्संगियों को गड्ढे से निकालने और निजी वाहनों व एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुंचाने में जुट गए। दलदली हालत में संघर्ष: भगदड़ के दौरान दलदली खेतों और कीचड़ में फंसकर, ग्रामीणों ने जान बचाने की कोशिश की, जिसमें उनके जूते-चप्पल छूट गए और कपड़े गंदे हो गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सत्संग स्थल के पास दलदल में गिरे लोगों को निकालने का संघर्ष जारी रहा, जिससे खेतों में खड़ी चरी की फसल और अन्य फसलें भी बर्बाद हो गई।ग्रामीणों की बहादुरी: राजकुमार, श्याम कुमार, वृजेश, वीकेश, और अन्य ग्रामीणों ने खेतों और ईंट भट्ठों से भागकर सत्संग स्थल पर पहुंचकर गड्ढे में गिरी महिलाओं और अन्य लोगों की मदद की, और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले गए। सेवादारों की बाधा: बाबा के सेवादारों ने न केवल मदद को रोका बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी दूर भगा दिया, जिससे कई जानें बचाई जा सकती थीं, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। धैर्य और सेवा: ग्रामीणों ने अपने कपड़ों और जूतों की परवाह किए बिना एक-एक घायल और मृतक की मदद की और तब तक रुके रहे जब तक सभी सुरक्षित नहीं हो गए।