Nepal-India Relation: भारत और नेपाल के रिश्ते हमेशा से ही बेहद खास और गहरे रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतिहास में एक ऐसा मोड़ भी आया था, जब नेपाल भारत का ही एक हिस्सा बन सकता था? यह कोई कोरी कल्पना नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक सच है, जिसका खुलासा देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Former President Pranab Mukherjee) ने अपनी किताब में किया था। अगर उस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) ने हां कह दी होती, तो आज दुनिया का नक्शा कुछ और ही होता।
प्रणब मुखर्जी की किताब से हुआ था बड़ा खुलासा
यह पूरा मामला तब फिर से चर्चा में आया जब देश के सर्वोच्च पद पर रहे एक बेहद संजीदा राजनेता प्रणब मुखर्जी (pranab mukherjee) ने अपनी आत्मकथा ‘द प्रेसिडेंशियल इयर्स’ (The Presidential Years) में इस ऐतिहासिक घटना का जिक्र किया। उन्होंने अपनी किताब में साफ लिखा कि 1950 के दशक में नेपाल के तत्कालीन राजा वीर विक्रम त्रिभुवन शाह (Veer Vikram Tribhuvan Shah) ने खुद प्रधानमंत्री नेहरू के सामने Nepal India merger का प्रस्ताव रखा था। लेकिन नेहरू ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।

राजा वीर विक्रम त्रिभुवन शाह. । (Source: Social Media)
इंदिरा होतीं तो अलग होती कहानी
प्रणब मुखर्जी (pranab mukherjee) ने अपनी किताब में सिर्फ इस घटना का जिक्र ही नहीं किया, बल्कि एक बड़ी टिप्पणी भी की। नेहरू-गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे मुखर्जी ने लिखा कि अगर राजा त्रिभुवन का यह प्रस्ताव Jawaharlal Nehru की जगह उनकी बेटी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के पास आया होता, तो वह इसे कभी नहीं ठुकरातीं। उन्होंने दावा किया कि Indira Gandhi इसे एक मौके की तरह देखतीं और नेपाल भी सिक्किम की तरह ही भारत का एक अभिन्न अंग होता। Indira Gandhi Sikkim का विलय करवा चुकी थीं, इसलिए मुखर्जी का यह दावा बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बीपी कोइराला. । (Source: Social Media)
जब खाने की मेज पर खराब हो गया था माहौल
इस घटना का जिक्र दशकों पहले पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने भी किया था, लेकिन तब उनकी बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने अपनी आत्मकथा ‘जीवन जैसा जिया’ में एक दिलचस्प किस्से का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि एक बार नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बी.पी. कोइराला दिल्ली आए थे। चौधरी चरण सिंह ने उन्हें खाने पर बुलाया और बातों-बातों में कह दिया कि राजा त्रिभुवन ने तो नेहरू से नेपाल को भारत में मिलाने को कहा था, अगर नेहरू ने गलती न की होती तो आज कोई समस्या ही न होती। यह सुनते ही कोइराला के होश उड़ गए और चंद्रशेखर को माहौल हल्का करने के लिए बात बदलनी पड़ी। हालांकि तब चंद्रशेखर ने इस पर यकीन नहीं किया था, लेकिन सालों बाद Pranab Mukherjee autobiography में हुए इस खुलासे ने यह साबित कर दिया कि चौधरी चरण सिंह की बात में दम था और इतिहास के पन्नों में यह राज वाकई दफन था।

