IAS Success Story in Hindi: एक गरीब परिवार में पैदा हुई संजीता मोहपात्रा (sanjita mohapatra) आज एक जिले में मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। उन्होंने कठिन बचपन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। UPSC परीक्षा में सफलता के बाद आज वह भी महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद कर रही है। महाराष्ट्र के अमरावती जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजिता महापात्रा का जन्म गरीब ओडिशा के राउरकेला में हुआ था। उसकी मां को उनके जन्म से निराशा हुई क्योंकि परिवार ने संजीता की बड़ी बहन के बाद एक बेटे का जन्म चाहा था। इस 34 वर्षीय अधिकारी ने बताया कि उनका परिवार लगभग छोड़ चुका था, लेकिन उनकी बड़ी बहन के प्रोत्साहन से ही उनके माता-पिता ने उन्हें बचाया। संजीता का बचपन गरीबी से भरा था। उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए स्कॉलरशिप, शिक्षकों और सामाजिक संस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ा, लेकिन अपने पति और ससुराल की सहायता से वह IAS अधिकारी बनने में सफल रहीं।
माता-पिता के लिए बनाया गया घर
संजीता महापात्रा ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) में सहायक प्रबंधक के रूप में काम किया। उस दौरान, उन्होंने अपने माता-पिता के लिए गांव में एक घर बनवाया और अब उनके माता-पिता को अपने काम पर गर्व है।
पति और ससुराल के सहयोग से पूरा किया IAS का सपना
संजिता बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं, जो उन्होंने अपने पति और ससुराल के सहयोग से पूरा किया। 2019 में उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की, अपने पति की प्रेरणा और ससुराल वालों के सहयोग से।
महिलाओं और स्कूलों को बेहतर करने की कोशिश
अमरावती जिला परिषद की सीईओ (CEO) संजीता महापात्रा भी महिलाओं को स्कूलों और महिलाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भी जिला परिषद का लक्ष्य है। स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से उन्होंने महिलाओं को प्रोत्साहित किया है। SHG (Self-Help Group) उत्पादों पर विशेष ध्यान संजीता फिलहाल अपने कार्यक्षेत्र में SHG (Self-Help Group) उत्पादों के लिए एक विशिष्ट बाजार बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। उनका मानना है कि SHG के उत्पादों को बेहतर बाजार मिलने से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। वह SHG को हर कदम पर मदद कर रही है, ब्रांडिंग और पैकेजिंग से लेकर लॉन्च तक। संजिता ने कहा, “मैं स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती हूं और जिला परिषद स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता यानी एजुकेशन क्वालिटी को भी सुधारना चाहती हूं।”‘