हिमाचल के इस हंसते-खेलते परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, गरीब परिवार की दर्दभरी दास्तां पढकर भर आएंगी आंखें
प्रदेश के जिला ऊना के चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के गांव चक्कसराय में रहने वाले सुनील कुमार का परिवार पिछले दो वर्षों से आर्थिक तंगी और कर्ज के दबाव में जी रहा है। बीपीएल सूची में शामिल इस परिवार के पास आय का कोई स्रोत नहीं है।
ऊना: हिमाचल प्रदेश के एक खुशहाल परिवार पर अचानक मुसीबतों का ऐसा पहाड़ टूटा कि जिंदगी पूरी तरह बदल गई। परिवार के मुखिया की नौकरी छूट गई, पत्नी गंभीर बीमारी के चलते कोमा में चली गई। बेटी मानसिक तनाव का शिकार हो गई और मां की हालत देख नन्ही बेटी भी बीमार हो गई।
प्रदेश के जिला ऊना के चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के गांव चक्कसराय में रहने वाले सुनील कुमार का परिवार पिछले दो वर्षों से आर्थिक तंगी और कर्ज के दबाव में जी रहा है। बीपीएल सूची में शामिल इस परिवार के पास आय का कोई स्रोत नहीं है। सुनील पर अपनी पत्नी और बेटी के इलाज का भारी खर्च, नवजात बेटे की परवरिश और बुजुर्ग मां व नानी की देखभाल की जिम्मेदारी है। वर्तमान में परिवार के खाते में सिर्फ 256 रुपये बचे हैं।सुनील की शादी 2013 में रेणू बाला से हुई थी। उनकी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था। 2022 में रेणू को सांस लेने में दिक्कत हुई और उसे पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया। फेफड़ों की गंभीर समस्या के चलते वह कोमा में चली गई। इस दौरान रेणू चार महीने की गर्भवती थी। नौ महीने बाद ऑपरेशन से बेटे का जन्म हुआ, लेकिन रेणू अब भी कोमा में है।
रेणू की बीमारी के बाद, उनकी बड़ी बेटी को नानी के घर भेजना पड़ा। मां की हालत का बच्ची के कोमल मन पर ऐसा असर हुआ कि वह मानसिक तनाव में चली गई। अब सुनील अपनी पत्नी और बेटी दोनों का पीजीआई में इलाज करवा रहे हैं। रेणू के इलाज के लिए सुनील को हर 15 दिन में पीजीआई जाना पड़ता है। दवाइयों और यात्रा के लिए 12,000 रुपये का खर्च आता है। आर्थिक तंगी के चलते इलाज में भी बाधाएं आ रही हैं। सुनील की मां दिल और सांस की बीमारियों से जूझ रही हैं। परिवार की आर्थिक हालत और बढ़ते तनाव ने सुनील को पूरी तरह से तोड़ दिया है चिंतपूर्णी क्षेत्र के विधायक सुदर्शन बबलू ने बताया कि परिवार की मदद के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में फाइल भेजी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही परिवार को आर्थिक सहायता मिलेगी, ताकि वे इस कठिन समय से उबर सकें।