One Nation One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट की मंजूरी,जानिए इससे क्या-क्या होगा बदलाव
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One Nation One Election: नई दिल्ली: One Nation One Election Bill Pass In Cabinet: एक देश एक चुनाव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। मोदी कैबिनेट से इस पर मंजूरी मिलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि इसे अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। एक देश एक चुनाव मोदी सरकार के पुराने एजेंडों में से एक रहा है। जिस पर अब कदम बढ़ाया गया है। इस पर लंबी चर्चा के बाद कैबिनेट में पेश किया गया था जिस पर मुहर लगा दी गई है। इस तरह से ये बिल अब संसद में पेश किया जाएगा। इस मुद्दे पर गठित रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने पहले ही हरी झंडी दिखा दी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे देश की बड़ी जरूरत बताया है। क्या है वन नेशन, वन इलेक्शन? वन नेशन, वन इलेक्शन का उद्देश्य लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराना है। यह भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में शामिल प्रमुख वादों में से एक है। प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से इसके समर्थक रहे हैं। उनका मानना है कि बार-बार चुनाव कराने से देश पर वित्तीय बोझ बढ़ता है और विकास कार्यों में बाधा आती है। इस विधेयक के लागू होने से संसाधनों की बचत और प्रशासनिक सुगमता संभव हो सकेगी। कैसे होगा यह लागू? इस कदम को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई-लेवल कमेटी (High-Level Committee) की सिफारिशों (Recommendations) के आधार पर मंजूरी दी गई है। कमेटी ने चरणबद्ध तरीके से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की योजना बनाई है। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब सभी दलों के बीच आम सहमति बने। राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (Congress and Aam Aadmi Party) ने इस कदम का विरोध किया है। उनका आरोप है कि इससे केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी को राजनीतिक फायदा होगा वहीं, नीतीश कुमार की जेडीयू (Nitish Kumar's JDU) और चिराग पासवान (chirag paswan) जैसे एनडीए सहयोगियों ने इस पहल का समर्थन किया है। वन नेशन, वन इलेक्शन का इतिहास 1951-52 में पहले आम चुनाव के दौरान केंद्र और राज्यों के चुनाव एक साथ हुए थे। यह सिलसिला 1967 तक जारी रहा। लेकिन राज्यों में अस्थिरता के कारण यह प्रणाली टूट गई। 1968-69 में कई राज्य सरकारें भंग हो गईं और 1971 के बाद लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) समय से पहले कराए गए। तब से लोकसभा और विधानसभा चुनाव (Loksabha and Assembly elections) अलग-अलग समय पर होते रहे हैं। आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ram Nath Kovind) ने इस पहल को राष्ट्रहित में बताया है। उन्होंने कहा, "यह कदम देश की जीडीपी में 1-1.5% की वृद्धि कर सकता है।" विशेषज्ञों का भी मानना है कि इससे चुनावी खर्च में कटौती और प्रशासनिक कुशलता बढ़ेगी। #OneNationOneElection #OneNationOneElectionBill #CabinetMeeting #ModiCabinetMeeting #ModiCabinetDecisions #OneNationOneElectionBillPass #EkDeshEkChunav #WhatIsOneNationOneElection #BenefitsOfOneNationOneElection #NBT #nbtnews #NavbharatTimes #Hindinews