CLOUDBURST ll जानें क्या है क्लाउडबर्स्ट और क्यों मुश्किल है इसकी भविष्यवाणी करना
बादल फटने पर थोड़े समय में बहुत तेज बारिश होती है. अगर कहीं 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक घंटे में 10 सेमी या उससे अधिक बारिश होती है, तो उसे बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है
राहत एवं बचाव कार्य अभी जारी है।इस बीच, अधिकारियों ने कुल्लू और मंडी में सभी स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया को बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीसी और अधिकारी घटनास्थल
CLOUDBURST ll हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में गुरुवार सुबह बादल फटने (cloud burst) से दो लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग लापता हो गए।भारी बारिश ने राज्य के तीन जिलों में कहर बरपाया है।कई घर, स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त (damage ) हो गये।राहत एवं बचाव कार्य अभी जारी है।इस बीच, अधिकारियों ने कुल्लू और मंडी में सभी स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश (order) दिया है।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया को बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीसी (DC) और अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं।हमने अधिकारियों को सभी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दे दिए हैं।हमने सेना से भी मदद मांगी है।वायु सेना को भी तैयार रहने को कहा गया है।
क्लाउडबर्स्ट क्या है?
बादल फटने को अल्प अवधि के लिए होने वाली बहुत भारी वर्षा (havey rainfall) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।बादल फटने की घटनाएँ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों (hilly areas) में होती हैं, लेकिन कभी-कभी ये मैदानी इलाकों में भी हो सकती हैं। बादल फटने की घटनाएँ अक्सर हिमालय या पश्चिमी घाट के पहाड़ी इलाकों में होती हैं।यह तब होता है जब गर्म मानसूनी हवाएं ठंडी हवाओं के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर बादल बनाती हैं। भारी बारिश के सभी मामलों को बादल फटना नहीं कहा जा सकता, लेकिन यदि 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र (kilometre areas) में एक घंटे में 10 सेमी या उससे अधिक बारिश होती है, तो इसे बादल फटना कहा जा सकता है।बादल क्यों बनते हैं?
बादल फटने की घटनाएं आमतौर पर भारी वर्षा के दौरान होती हैं।इस स्थिति में नमी से भरे बादल बड़ी मात्रा में एक स्थान पर एकत्र हो जाते हैं और पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं।इन बूंदों के भारी भार के कारण बादल का घनत्व बढ़ जाता है और अचानक बारिश (sudden rainfall) होने लगती है।ऐसी स्थिति में, जब गर्म हवा की धाराएं वर्षा की बूंदों के साथ मिलती हैं, तो वे सामान्य प्रवाह को बाधित करती हैं, जिससे जल जमाव होता है और बादल फटते हैं।
क्या बादल फटने की घटना घट सकती है?
बादल फटना एक अप्रत्याशित मौसम घटना है।बादल फटने से बाढ़ (flood ) आ सकती है, जो पानी के बहाव के साथ बड़ी मानव बस्तियों को बहा ले जा सकती है।ये बाढ़ पेड़ों को उखाड़ सकती है तथा पत्थरों और अन्य मलबे को बहा ले जा सकती है।नीचे उतरते समय पानी की गति और बल बढ़ जाता है और वह अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को बहा ले जाता है। बादल फटने (cloud burst) से पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन भी हो सकता है, जबकि मैदानी इलाकों में इससे तीव्र बाढ़ आ सकती है।आमतौर पर हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने की अधिकतर घटनाएं छोटी घाटियों में होती हैं, इसलिए डॉप्लर रडार (Doppler radar) से भी इनका पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है।
हिमाचल प्रदेश में बार-बार बादल फटने की घटनाएं क्यों होती हैं?
बादल फटना कोई असामान्य घटना नहीं है।ऐसी घटनाएं ज्यादातर हिमालयी राज्यों (Himalayan state) में होती हैं, जहां स्थानीय स्थलाकृति, पवन प्रणालियां और निचले-ऊपरी वायुमंडल के बीच तापमान प्रवणता ऐसी घटनाओं के लिए अनुकूल होती हैं। मीडिया से बात करते हुए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि बादल फटने की घटनाएं हिमालय या पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे क्षेत्रों में होती हैं।उन्होंने कहा कि जब मानसून की गर्म हवाएं ठंडी हवाओं के संपर्क में आती हैं तो बड़े आकार के बादल (cloud) बनते हैं।
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलवत ने बताया कि ऐसे बादलों को घने काले बादल कहा जाता है और ये 13-14 किलोमीटर की ऊंचाई पर हो सकते हैं।यदि ये बादल किसी विशेष क्षेत्र में अटक जाते हैं या उन्हें तितर-बितर करने के लिए पर्याप्त वायु गति नहीं होती, तो वे किसी विशेष क्षेत्र में वर्षा करते हैं।