Chamba Pangi News: सर्दियां शुरू होते ही पांगी में गुल होने लगी बिजली, पंगवाल एकता मंच ने उठाई आवाज
Chamba Pangi News: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की दुर्गम पांगी घाटी में बिजली की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। सर्दियों के आगमन के साथ बिजली आपूर्ति की स्थिति और भी खराब हो जाती है, जिससे क्षेत्र के लोगों को रोजमर्रा के कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पांगी घाटी के निवासी बिजली आपूर्ति प्रणाली को सुधारने के लिए सरकार और प्रशासन से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकल सके।
Chamba Pangi News: चंबा: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की दुर्गम पांगी घाटी में बिजली की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। सर्दियों के आगमन के साथ बिजली आपूर्ति की स्थिति और भी खराब हो जाती है, जिससे क्षेत्र के लोगों को रोजमर्रा के कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पांगी घाटी के निवासी बिजली आपूर्ति प्रणाली को सुधारने के लिए सरकार और प्रशासन से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकल सके।
पंगवाल एकता मंच ने उठाई मांग
पांगी घाटी के जनजातीय समुदाय ने "पंगवाल एकता मंच" के बैनर तले इस मुद्दे को उठाया है। मंच के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर (President Trilok Thakur) ने बताया कि घाटी में बिजली आपूर्ति को सुचारू करने के लिए तीन सौर ऊर्जा संयंत्रों पर काम शुरू होना था। इनमें धनवास में 1 मेगावाट और हिलौर तथा धरवास में 500 किलोवाट के छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल थे। इन संयंत्रों से सर्दियों में बिजली की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता था। लेकिन अफसोस, अभी तक जमीन पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है, और अक्टूबर के मध्य तक कार्य का सीजन भी समाप्त हो जाएगा। इसका मतलब है कि इस साल कोई ठोस प्रगति होने की संभावना नहीं है।
मौजूदा बिजली परियोजनाओं की दयनीय स्थिति
पांगी घाटी में सुराल, किलाड़, साच, और पुर्थी जैसी जगहों पर छोटे बिजली उत्पादन संयंत्र स्थापित हैं, जो कुल 1,400 किलोवाट क्षमता के साथ 25,000 लोगों की आबादी को बिजली उपलब्ध कराने के लिए बने हैं। लेकिन इन परियोजनाओं की टर्बाइनों की खराबी के कारण फिलहाल ये परियोजनाएं केवल 650 किलोवाट बिजली का उत्पादन कर रही हैं। उदाहरण के लिए, सुराल परियोजना में दो टर्बाइन हैं, जिनमें से एक काम नहीं कर रही है। किलाड़ और साच की परियोजनाओं में भी यही समस्या है, जिससे घाटी में 750 किलोवाट की बिजली की कमी बनी हुई है।
नौकरशाही की देरी से बिगड़ती समस्या
बिजली की इस कमी को दूर करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर उन्नयन और रखरखाव के प्रयास हो रहे हैं। वर्ष 2023 में 7 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया था, जिसमें मशीनरी, उपकरण और बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल था। लेकिन नौकरशाही की देरी के चलते यह धनराशि अभी तक जारी नहीं की गई है। त्रिलोक ठाकुर ने इस देरी की आलोचना करते हुए इसे घाटी के विकास में बड़ी बाधा बताया है। उनका कहना है कि अगर समय पर कदम उठाए गए होते, तो घाटी में बिजली संकट को काफी हद तक कम किया जा सकता था।
सामुदायिक एकजुटता की अपील
त्रिलोक ठाकुर ने पांगी घाटी के निवासियों से इस मुद्दे पर एकजुट होने की अपील की है। उनका मानना है कि जब तक इस समस्या पर सामूहिक रूप से दबाव नहीं डाला जाएगा, तब तक सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देंगे। ठाकुर ने कहा कि पांगी घाटी के लोगों को अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए और बिजली आपूर्ति की समस्या के स्थायी समाधान की मांग करनी चाहिए।
पांगी घाटी में बिजली की समस्या लंबे समय से चली आ रही है, और इस साल भी स्थिति में सुधार की संभावना कम दिख रही है। कुछ परियोजनाएं प्रगति पर हैं, लेकिन उन्हें पूरा होने में अभी भी समय लगेगा। पंगवाल एकता मंच और स्थानीय लोग चाहते हैं कि सरकार और प्रशासन इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाएं। यदि समय रहते सही उपाय किए जाते हैं, तो पांगी घाटी में बिजली की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। इससे घाटी के निवासियों का जीवन बेहतर होगा और सामाजिक-आर्थिक विकास की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।