Reserve Bank of india || नहीं चुका पा रहे लोन तो बैंक ग्राहक जान लें अपने अधिकार, RBI द्वारा जारी गाइडलाइन

लोन धारक से कोई भी रिकवरी एजेंट नहीं कर सकता गलिगलोच या बदसलूकी

Reserve Bank of india ||  भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया(reserve bank of India )देश की वित्तीय संस्थानों ( financial institution) को कंट्रोल करने और देश की अर्थव्यवस्था (economy )nको सुधारने देश की अर्थव्यवस्था के बारे में पूर्ण जानकारी देने के लिए भारत में एक बहुत बड़ा इंस्टिट्यूट (largest institute )

Reserve Bank of india || नहीं चुका पा रहे लोन तो बैंक ग्राहक जान लें अपने अधिकार, RBI द्वारा जारी गाइडलाइन

Reserve Bank of india || भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (reserve bank of India ) देश की वित्तीय संस्थानों ( financial institution) को कंट्रोल करने और देश की अर्थव्यवस्था (economy ) को सुधारने देश की अर्थव्यवस्था के बारे में पूर्ण जानकारी देने के लिए भारत में एक बहुत बड़ा इंस्टिट्यूट (largest institute ) है रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया। देश के बैंकों से जुड़े नागरिकों (citizens) के लिए समय-समय पर कई गाइडलाइन (guidelines ) जारी करता है और कई प्रकार की सुविधा भी प्रदान करता है। ऐसे में अगर आपने भी लोन (loan) लिया है और आप लोन नहीं दे पा रहे हैं तो आप आरबीआई की इस गाइडलाइन को पढ़कर अपने अधिकारों (rights) के बारे में जान सकते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बैंक ग्राहकों (customers ) की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए नई-नई गाइडलाइन जारी करता रहता है। तो ऐसे में लोन नहीं भरने वालों के लिए भी गाइडलाइन (guidelines ) जारी की है। आपको बता दें कि बैंक ग्राहकों को भी आरबीआई (rbi) की तरफ से बहुत से अधिकार दिए जाते हैं जिनके बारे में ग्राहकों को जानकारी नहीं होती है।

जिसके चलते बैंक उन्हें परेशान करते रहते हैं। बैंक ग्राहकों (customers ) को जानकारी न होने के कारण बैंक से जुड़े ग्राहक और लोन लेने वाले ग्राहक जिन्होंने लिया है वह ग्राहक बड़े परेशान होते हैं और यहां तक कि वह आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। लेकिन इस तरह के कदमों को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of india)ने गाइडलाइन जारी की है और इस तरह की गाइडलाइन बार भी जारी भी करता रहता है।तो ऐसे में जिन लोगों ने लोन( Loan ) लिया हुआ है और अब वो नहीं चुका पा रहे हैं तो ये खबर उनके लिए फायदेमंद( beneficial ) हो सकती है। आज हम इस खबर में बताने वाले हैं लोन न चुका पाने वाले ग्राहकों को मिले अधिकारों के बारे में।

Reserve Bank of india || नहीं चुका पा रहे लोन तो बैंक ग्राहक जान लें अपने अधिकार, RBI द्वारा जारी गाइडलाइन

अगर कोई देश का नागरिक अपने होम लोन (home loan)या फिर पर्सनल लोन ( personal loan ) की (emi)  नहीं चुका पाता और डिफॉल्ट कर जाता है तो ऐसा नहीं है कि लोन देने वाली कंपनी या फिर बैंक आपको परेशान करने लगे तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी (complete information ) होने चाहिये। ग्राहकों के हितो की रक्षा करने के लिए ऐसे कई नियम हैं, जो उसकी ऐसी हरकत पर लगाम लगाते हैं। आरबीआई( rbi) का नियम लोगों के लिए राहत लाया है जिन लोगों को लोन चुकाने में दिक्कत आ रही थी, उन्हें राहत देने के लिए आरबीआई ने कई गाइडलाइंस बनाई हैं।

जिन लोगों का लोन डिफॉल्टर्स (loan defaulter) हो गया है  उनके लिए यह यह खबर एक राहत की तरह है।क्योंकि इसकी वजह से उन्हें लोन चुकाने के लिए अधिक मोहलत मिल जाती है। एक्सपर्ट्स (expert) बताते हैं कि कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक धमका या फिर जोर जबर्दस्ती (forcefully ) नहीं कर सकता है। अपना लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों (recovery agents ) की सेवाएं ले सकते हैं। लेकिन, ये अपनी हद पार नहीं कर सकते हैं। यह रिकवरी करने वाले आपको बिना मतलब (without any means) के गलिगलोच नहीं कर पाएंगे। रिकवरी एजेंट ग्राहक के घर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच जा सकते हैं। हालांकि, वे ग्राहकों से बदसलूकी नहीं कर सकते हैं। अगर इस तरह का दुर्व्यवहार (misbehaves) होता है तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकते हैं। बैंक से सुनवाई न होने पर बैंकिंग ओंबड्समैन (banking ombadsman) का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।

लोन डिफाल्टर होने के बारे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अपने कर्ज की वसूली के लिए कर्ज देने वालों बैंक, वित्तीय संस्थान को सही प्रक्रिया अपनाना जरूरी है। सिक्योर्ड लोन (secured loan) के मामले में उन्हें गिरवी रखे गए एसेट (asset) को कानूनन जब्त करने का हक है। हालांकि, नोटिस दिए बगैर( withou notice)  बैंक ऐसा भारतीय रिजर्व बैंक देश की सारी कैश प्रणाली को और वित्तीय प्रणाली को कंट्रोल करने का एक बड़ा इंस्टीट्यूशन( large institutions) है।लोन लेन वाले को तब नॉन- परफॉर्मिंग एसेट NPA यानी डूबे हुए कर्ज में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है। इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉल्टर (defaultar) को 60 दिन का नोटिस (notice)  जारी करना पड़ता है।

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