New BIS gold hallmarking rules: अब 9 कैरेट गोल्ड पर भी मिलेगा Hallmark, 40 हजार से कम में मिलेगी 10 ग्राम सोने की ज्वेलरी


New BIS gold hallmarking rules: सोना अब आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। 24 कैरेट 10 ग्राम सोने का भाव एक लाख रुपये के करीब पहुंच चुका है। ऐसे में मध्यम वर्ग के लिए सोने की ज्वेलरी खरीदना किसी सपने जैसा बन गया है। खासकर महिलाएं, जो पारंपरिक तौर पर गहनों की खरीदारी में सबसे आगे रहती हैं, अब कीमतों के चलते अपने शौक को पूरा नहीं कर पा रहीं।
सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे आने वाले दिनों में सोने की मांग फिर से बढ़ सकती है। अब आप महज ₹40,000 से भी कम में 10 ग्राम सोने की ज्वेलरी खरीद सकेंगे वो भी हॉलमार्क के साथ, यानी पूरी तरह से असली और मान्यता प्राप्त। सोने की कीमतों में उछाल के चलते लोग अब 22 या 18 कैरेट की जगह 9 कैरेट सोने की ज्वेलरी की तरफ रुख कर रहे हैं। यह न केवल सस्ता है बल्कि जेब पर भी हल्का पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने ऐलान किया है कि अब 9 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी पर भी हॉलमार्किंग अनिवार्य होगी। अब तक 14, 18, 20, 22, 23 और 24 कैरेट सोने के गहनों पर ही हॉलमार्किंग जरूरी थी, लेकिन जुलाई 2025 से 9 कैरेट सोना भी इस दायरे में आ गया है।
कैसे करें शुद्ध ज्वेलरी की पहचान
सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की जांच करने के लिए, आप भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का BIS-Care ऐप इस्तेमाल कर सकते हैं. इस ऐप के जरिये आप ज्वेलरी पर दिए गए HUID (Hallmark Unique Identification) नंबर को डालकर असली या नकली हॉलमार्किंग की पहचान कर सकते हैं. इसके अलावा आप BIS की वेबसाइट पर जाकर भी हॉलमार्क की जांच कर सकते हैं. गौरतलब है कि आप जब 22 कैरेट सोने की ज्वेलरी लेते हैं तो आपको पता होनी चाहिए कि उसमें 22 कैरेट गोल्ड के साथ 2 कैरेट कोई और मेटल मिक्स होता है. वहीं जब आप 18 कैरेट की ज्वेलरी खरीदते हैं, उसमें 6 कैरेट कोई और मेटल मिला होता है. हालांकि अगर आप निवेश के लिए ज्वेलरी खरीद रहे हैं तो फिर 22 कैरेट की ज्वेलरी ही खरीदें.
हॉलमार्क क्यों जरूरी?
हॉलमार्किंग का मतलब होता है सोने की शुद्धता की सही पहचान. जब आप कोई सोने का गहना खरीदते हैं, तो उस पर एक छोटा-सा निशान बना होता है, जो बताता है कि वो गहना कितने कैरेट का है और उसकी गुणवत्ता क्या है. हॉलमार्किंग से ग्राहक को भरोसा रहता है कि जो सोना वह खरीद रहा है, वह असली है और उसकी कीमत के हिसाब से उसमें कोई धोखा नहीं है. इससे न सिर्फ खरीदार को सुरक्षा मिलती है, बल्कि सोने की बिक्री या आगे चलकर एक्सचेंज में भी आसानी होती है.