Fastag Big Alert : Fastag हुआ पुराने जमाने की बात, सरकार ने बदले नियम! करोड़ों लोगों को मिली बड़ी राहत
GNSS (Global Navigation Satellite System) प्रणाली के तहत, एक सैटेलाइट आधारित ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाएगा जो वाहन की मूवमेंट को ट्रैक करेगा। इसके जरिए पता चलेगा कि वाहन ने कितने किलोमीटर का सफर किया है और उसी हिसाब से टोल की रकम आपके खाते से काट ली जाएगी।
Fastag Big Alert : फास्टैग से परेशान लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर है। आजकल फास्टैग प्रणाली वाहन चालकों के लिए एक जंजाल बनती जा रही है, जहां अनचाहे और अनावश्यक टोल टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए सुकून भरी हो सकती है, क्योंकि सरकार जल्द ही फास्टैग को बदलने की योजना बना रही है। इसके साथ ही, टोल टैक्स वसूली की नई तकनीक लागू की जाएगी, जिससे लोगों को इस समस्या से मुक्ति मिलेगी।कुछ राष्ट्रीय राजमार्गों पर नई व्यवस्था पहले से ही शुरू हो चुकी है, हालांकि अभी इसे पूरे देश में लागू नहीं किया गया है। लेकिन सरकार का दावा है कि जल्द ही देश के सभी टोल बूथ हटाकर इस नई प्रणाली के जरिए ही टोल टैक्स की वसूली होगी, जिससे वाहन चालकों की समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
क्या होगी नई व्यवस्था?
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, नई टोल वसूली प्रणाली जीपीएस आधारित होगी। इस नई व्यवस्था का नाम GNSS (Global Navigation Satellite System) रखा गया है। इसमें वाहनों की नंबर प्लेट या उनके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाई जाएगी, जो यह रिकॉर्ड करेगी कि वाहन ने कितना हाईवे उपयोग किया है। उसी के आधार पर वाहन चालक के खाते से टोल टैक्स की राशि कट जाएगी। इसका मतलब यह है कि जितना हाईवे उपयोग किया जाएगा, उतना ही पैसा देना होगा, और अनावश्यक टैक्स वसूली से लोगों को राहत मिलेगी।इस तकनीक के जरिए लोगों की जेब पर गैरजरूरी बोझ नहीं पड़ेगा और टोल टैक्स केवल वास्तविक दूरी के हिसाब से लिया जाएगा। हालांकि, अभी इस नई प्रणाली के पूरी तरह से कब तक लागू होने की तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन सरकार ने इसकी तैयारियों को शुरू कर दिया है।
वर्तमान में चल रही व्यवस्था
अभी तक फास्टैग प्रणाली का उपयोग हो रहा है, जिसमें हर वाहन के सामने के शीशे पर फास्टैग चिप होता है। टोल प्लाजा पर इस फास्टैग को स्कैन कर टैक्स काटा जाता है। हालांकि, लोगों की शिकायतें बनी रहती हैं कि उन्हें अधिक पैसे चुकाने पड़ते हैं, भले ही वे कम दूरी का हाईवे उपयोग करें। खासकर जो लोग हाईवे का कम इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भी उतना ही टोल चुकाना पड़ता है जितना अधिक दूरी तय करने वाले वाहन मालिकों को।
GNSS प्रणाली कैसे काम करेगी?
GNSS (Global Navigation Satellite System) प्रणाली के तहत, एक सैटेलाइट आधारित ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाएगा जो वाहन की मूवमेंट को ट्रैक करेगा। इसके जरिए पता चलेगा कि वाहन ने कितने किलोमीटर का सफर किया है और उसी हिसाब से टोल की रकम आपके खाते से काट ली जाएगी। इस नई प्रणाली के लागू होने से वाहन चालकों को न तो फास्टैग की जरूरत पड़ेगी, न ही टोल बूथ पर कतारों में खड़ा होना होगा।सरकार का उद्देश्य है कि इस नई तकनीक से देशभर में टोल वसूली को ज्यादा सटीक, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाया जा सके। इससे न केवल वाहन मालिकों को फायदा होगा, बल्कि टोल प्रबंधन में भी सुधार आएगा।