Superme Court : सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण पर बड़ा फैसला, कहा राज्यों के पास सब-कैटेगिरी बनाने का आधिकार

Superme Court : सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण पर बड़ा फैसला, कहा राज्यों के पास सब-कैटेगिरी बनाने का आधिकार
Superme Court

नई दिल्ली: Superme Court :  उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में कोटा के मामले में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक निर्णय दिया है। इस मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत की सात जजों की बेंच ने की। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जनजाति कोटा भी हो सकता है। 2004 के सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच का निर्णय, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की बेंच ने पलट दिया है। दरअसल, चिन्नैया केस में सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में अनुसूचित जातियों के बीच कोटा खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि अनुसूचित जाति (SC) एक सजातीय समूह नहीं है और सरकारें इसे उप-वर्ग बना सकती हैं ताकि अधिक उत्पीड़न और शोषण का सामना करने वाली जातियों को फायदा मिल सके।

2004 का निर्णय बदल गया

सुप्रीम कोर्ट के 2004 के फैसले को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश सी. शर्मा की बेंच ने पलट दिया है। 2004 के चिन्नैया मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति के आरक्षण में सब-कैटेगिरी के खिलाफ यह निर्णय दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि अनुसूचित जातियों को उनके उत्पीड़न के आधार पर वर्गीकरण किया जाएगा। राज्य शिक्षा संस्थानों, सरकारी नौकरियों में उनके प्रतिनिधित्व से जुड़े आंकड़ों के आधार पर इसका प्रावधान कर सकते हैं।

6-1 से आरक्षण का निर्णय

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने की थी। इसमें छह न्यायाधीशों ने आरक्षण के पक्ष में निर्णय दिया, लेकिन एक न्यायाधीश ने इससे सहमत नहीं किया। इस मामले में जस्टिस बेला त्रिवेदी ने असहमति व्यक्त की थी। मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी राज्य आरक्षण के लाभ से किसी भी अनुसूचित जाति को वंचित नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि कोटा असमानता नहीं है। अनुसूचित जातियों और जनजातियों में सब-कैटेगिरी बनाने का अधिकार सभी राज्य सरकारों को है। राज्यों का यह निर्णय हालांकि न्यायिक समीक्षा के अधीन होगा।

क्या है मामला

साल 1975 में पंजाब सरकार ने आरक्षित सीटों को 2 श्रेणियों में बांटकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण नीति पेश की थी। एक वाल्मिकी और मजहबी सिखों के लिए और दूसरी अनुसूचित जातियों के लिए। तीस साल तक इस नियम के तहत आरक्षण नीति चलती रही थी। मगर साल 2006 में इस मामले पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने दोबारा सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया था। इसके बाद पंजाब सरकार का फैसला रद्द हो गया है। चिन्नैया फैसले पर अदालत ने कहा था कि अनुसूचित जाति की कैटेगिरी में सब- कैटेगिरी की अनुमति नहीं है, क्योंकि यह समानता के अधिकारों को पूरी तरह से उल्लंघन करता है। जबकि 2006 में पंजाब सरकार ने वाल्मिकी और मजहबी सिखों को फिर से कोटा देने के लिए नया कानून बनाया गया था। इसे भी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने पंजाब सरकार के इस फैसले को भी रद्द कर दिया। फिर इसके बाद मामला शीर्ष अदालत पहुंचा था।

यह भी पढ़ें ||  Kerala CM Convoy Accident : क्या आप जानते है कि अगर CM के काफिले से टकरा गई कोई गाड़ी तो क्या होगा? कौन सी सजा मिलेगी

उस समय पंजाब सरकार ने 1992 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया था। इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ के फैसले में अन्य पिछड़ा वर्ग के भीतर सब-कैटेगिरी बनाने की अनुमति थी। पंजाब सरकार का तर्क था कि अनुसूचित जाति के अंदर भी इसकी अनुमति होनी चाहिए।

सुपर स्टोरी

Holiday List : अक्तूबर में छुट्टियों की भरमार, इतने दिन नहीं होगा कामकाज, देखें छुट्टियों की लिस्ट Holiday List : अक्तूबर में छुट्टियों की भरमार, इतने दिन नहीं होगा कामकाज, देखें छुट्टियों की लिस्ट
Bank Holiday List :  सितंबर लगभग आने वाला है, इसलिए अक्तूबर (october) में होने वाली बैंक छुट्टियों को जानना महत्वपूर्ण...
New Rules : 1st October से बदलेंगे ये जरूरी नियम, आम आदमी की जेब पर होगा सीधा असर, जानें क्या-क्या बदलेगा
GNSS System : टोल टैक्स देने वालों के लिए खु्शखबरी, अब हर गाड़ी में लगेगा GNSS सिस्टम, फाइल हुई तैयार!
UPSC Success Story: बैंक की नौकरी छोड़े बिना सिर्फ 5 घंटे पढ़ाई कर बनी आईएएस अधिकारी
Good News : मोदी सरकार ने पलभर में खत्म कर दी बड़ी समस्या, 18 माह के एरियर को लेकर भर दी कर्मचारियों की झोली
E-Shram Card वालों की आई मौज, आनी शुरू हुई 3,000 रुपए महीना की किस्त!
बड़ी उपलब्धि: हिमाचल की बेटी केंद्र सरकार के SFOIO में असिस्टेंट डायरेक्टर