​Himachal Pradesh Electricity Bill: हिमाचल की जनता काे अब फ्री नहीं मिलेगी बिजली, विधानसभा में बिजली संशोधन बिल हुआ पास

​Himachal Pradesh Electricity Bill :  ​शिमला:  हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बीते दिन मंगलवार को बिजली खपत पर प्रति यूनिट 10 पैसे का Milk Sauce लगाने वाला बिल पारित हो गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu)  ने सोमवार को यह बिल सदन में पेश किया था।

​Himachal Pradesh Electricity Bill: हिमाचल की जनता काे अब फ्री नहीं मिलेगी बिजली, विधानसभा में बिजली संशोधन बिल हुआ पास
Himachal Pradesh Electricity Bill: ।mage Source Social Media

​Himachal Pradesh Electricity Bill :  ​शिमला:  हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बीते दिन मंगलवार को बिजली खपत पर प्रति यूनिट 10 पैसे का Milk Sauce लगाने वाला बिल पारित हो गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu)  ने सोमवार को यह बिल सदन में पेश किया था। चर्चा के बाद संशोधन बिल को मंजूरी मिल गई, और अब इसे राज्यपाल की अनुमति का इंतजार है। राज्यपाल (Governor)  से मंजूरी मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश में बिजली (electricity in himachal pradesh) की दरें बढ़ जाएंगी, जिससे आम लोगों के साथ-साथ उद्योगों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा, उद्योगों पर पर्यावरण सेस भी लगाया गया है।

प्रति यूनिट 10 पैसे का अतिरिक्त शुल्क

हिमाचल प्रदेश में पात्र उपभोक्ताओं (Eligible Consumers in Himachal Pradesh) को अब तक 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलती है। हालांकि, इस नए सेस के लागू होने के बाद प्रति यूनिट बिजली (per unit electricity) पर 10 पैसे अतिरिक्त चार्ज (extra charge) किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना और दुग्ध उत्पादकों को इसका लाभ पहुंचाना है। बढ़ी हुई दरों के तहत, अगर कोई उपभोक्ता 150 यूनिट बिजली का इस्तेमाल करता है, तो उसे 15 रुपये अतिरिक्त बिल (extra bill)  के रूप में चुकाने होंगे। यह सेस राज्य में बिजली की खपत (power consumption) को प्रभावित करेगा, लेकिन इसका फायदा दुग्ध उत्पादन क्षेत्र को होगा।

उद्योगों पर पर्यावरण सेस

इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में उद्योगों (industries in himachal pradesh) पर भी पर्यावरण सेस लगाया गया है। यह सेस उद्योगों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) के लिए लागू किया गया है। राज्य सरकार इस सेस से प्राप्त राशि का इस्तेमाल पर्यावरणीय सुधारों में करेगी। यह नया संशोधन बिल राज्य में बिजली की दरों को महंगा करेगा, लेकिन इसका लाभ राज्य की दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में देखने को मिलेगा।

सिर्फ़ टैक्स पर टैक्स लाद देना राजस्व बढ़ाने का तरीक़ा नहीं : जयराम ठाकुर

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार पॉलिसी में सुधार लाए, सिर्फ़ टैक्स पर टैक्स लाद देना राजस्व बढ़ाने का तरीक़ा नहीं हैं। टैक्स का बोझ किसी समस्या का समाधान नहीं है। लेकिन सत्ता में आने के अगले दिन से ही मुख्यमंत्री सिर्फ़ और सिर्फ़ टैक्स पर टैक्स बढ़ाने की नीति पर काम कर रहे हैं। डीज़ल पर वैट बढ़ाकर सुक्खू सरकार ने अपने काम-काज की शुरुआत की। फिर आपदा आई, आपदा के नाम पर फिर डीज़ल का वैट बढ़ा दिया। बिजली के बिल बढ़ा दिए, कूड़ा उठाने के बिल बढ़ा दिए, पानी का बिल बढ़ा दिए, प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ा दिए, स्टाम्प ड्यूटी बढ़ा दी। एग्रीमेंट में लगने वाले स्टाम्प शुल्क को दस गुना बढ़ा दिया। नक़ल, खसरा, खतौनी सबके शुल्क कई गुना बढ़ा दिए। कोई ऐसी सेवा नहीं है, जिसके शुल्क में सुक्खू सरकार में बढ़ोतरी नहीं हुई हो। इसके बाद भी प्रदेश के आर्थिक हालात ठीक नहीं हो रहे हैं तो यह साफ़ है कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम सही दिशा में नहीं हैं। मर्ज़ कुछ और है और दवाई कुछ और की जा रही है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी सही करने के लिए राजस्व बढ़ाने वाली नीतियां बनानी होंगी। प्रदेश में उत्पादकता को बढ़ाना होगा। उद्योगों की संख्या बढ़ानी होगी। प्रदेश में औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करना होगा। निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना होगा। जिससे हिमाचल एक उत्पादक राज्य बन सके। लेकिन कांग्रेस की सरकार में आने के बाद से ही इसका उल्टा काम हुआ। उद्योगों को मिल रहे प्रोत्साहन को ख़त्म करने का प्रयास किया गया। उद्योगों को मिल रही बिजली के दाम मनमाने बढ़ाए जिसे हाई कोर्ट ने पलट दिया। उद्योगों को सुरक्षा देने के बजाय माफिया को सह दी। जिसके कारण उद्योग पलायन कर गये। प्रदेश के राजस्व को इस तरह से सरकार की नीतियों की वजह से नुक़सान हुआ। आज भी सुक्खू सरकार अपने पुराने ढर्रे पर चल रही है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री महोदय को वेलफ़ेयर स्टेट के भी कुछ काम करने चाहिए लेकिन वह प्रदेश के लोगों को टैक्स के बोझ के नीचे दबा रही है, जबकि जनहित के सारे काम बंद कर रही है। लोगों को पांच लाख रुपए के निःशुल्क इलाज की सुविधा मिल रही थी लेकिन उसे लगभग बंद कर दिया। बेसहारा लोगों को मिल रही सहारा जैसी योजना बंद कर दी। सामाजिक सुरक्षा पेंशन रेगुलर नहीं हैं। ग़रीबों का बिजली-पानी सब महंगा कर दिया। घर बनाना मुश्किल कर दिया। दो साल से कम समय में ही सीमेंट के दाम में 100 रुपए की बढ़ोतरी कर दी। प्रदेश के लोगों को सशक्त बनाना, आर्थिक-सामाजिक लोगों को सशक्त करना भी सरकार का काम है और सरकार को यह काम करना चाहिए।

शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना लोगों का अधिकार, शांतिपूर्ण तरीक़े से बात रखने की अपील

नेता प्रतिपक्ष ने संजौली में प्रदर्शन से संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि प्रदर्शन करना लोगों का संवैधानिक हक़ है। इसलिए सरकार उसे रोक नहीं सकती है। अब सरकार मुद्दे को घुमा रही है और मस्जिद के अनाधिकृति अन्य भवनों की तरह जोड़ रही है। लेकिन दोनों परिस्थितियों में बहुत अंतर है। लोगों की भावनाओं के साथ यह मज़ाक़ है। क़ानून व्यवस्था सरकार का काम है। सरकार अपना काम करे। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने लोगों से शांति बनाने की अपील की।

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