OPINION: हाई टेक है नया संसद भवन, सुरक्षा व्यवस्था ऐसी की परिंदा भी नहीं मार सकता पार, टेक्नोलॉजी से है लैस

OPINION नई दिल्लीः नई संसद में विशेष सत्र शुरू हुआ है। इस बिल्डिंग में एक सुंदर इमारत के अलावा कई ऐसे सुविधाएं दी गई हैं जो आज की जरूरत हैं। बल्कि यह भविष्य में बदलने वाले हालात को भी पूरा करेगा। इन इंतजामों में सुरक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है। नई संसद भवन में स्टेट ऑफ […]

OPINION: हाई टेक है नया संसद भवन, सुरक्षा व्यवस्था ऐसी की परिंदा भी नहीं मार सकता पार, टेक्नोलॉजी से है लैस

OPINION नई दिल्लीः नई संसद में विशेष सत्र शुरू हुआ है। इस बिल्डिंग में एक सुंदर इमारत के अलावा कई ऐसे सुविधाएं दी गई हैं जो आज की जरूरत हैं। बल्कि यह भविष्य में बदलने वाले हालात को भी पूरा करेगा। इन इंतजामों में सुरक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है। नई संसद भवन में स्टेट ऑफ आर्ट सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स, यानी आदर्श सुरक्षा व्यवस्था दी गई है, तो यह बिल्कुल गलत नहीं होगा। 

नए संसद भवन में भी पार्लियामेंट का सुरक्षा स्टाफ
पुराने संसद भवन की तरह, नए संसद भवन में भी पार्लियामेंट का सुरक्षा स्टाफ तैनात है। लेकिन इस बार सुरक्षा बलों के लिए विशेष परिस्थितियों में काम करने वाली नवीनतम वर्दी। संसद भवन के सुरक्षाकर्मी भी उसके कपड़े पहनेंगे। एक विशिष्ट प्रकार का कपड़ा है। ताकि संसद भवन सुरक्षा स्टाफ को किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में चलने में परेशानी न हो।

पार्लियामेंट सुरक्षा कर्मचारी हथियारों के साथ संसद भवन में नहीं
पार्लियामेंट सुरक्षा कर्मचारी हथियारों के साथ संसद भवन में नहीं होंगे, और नए संसद भवन में भी ऐसा होगा। लेकिन उन्हें धीरे-धीरे आधुनिक ट्रेनिंग दी जाएगी। पार्लियामेंट सुरक्षा कर्मचारी सदन के भीतर और बाहर होते हैं। जब हम बाहरी कर्मचारियों की बात करते हैं, तो संसद भवन की सुरक्षा अर्धसैनिक बलों की जिम्मेदारी है। नई संसद भवन में भी सीआरपीएफ के जवान आउटर लेयर में हैं। इन अर्धसैनिक बलों के जवानों को विशेष तैयारियों के साथ नवनिर्मित संसद भवन में तैनात किया गया है।

संसद भवन में तैनात है, उसकी प्रोफाइलिंग की गई है यानी की नई संसद भवन में तैनाती से पहले उस जवान की कहां ड्यूटी थी. मसलन नक्सली इलाके में, कश्मीर में, नॉर्थ ईस्ट में या फिर दक्षिण भारत में. जिस जवान की दक्षता कुछ खास परिस्थिति के लिए है, उसे नए संसद भवन में तैनात किया गया है. हर जवान की पुख्ता जांच की गई है कि उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है और उसके संपर्क में कौन-कौन लोग हैं. नए परिसर में तैनात किए गए जवानों को 2 महीने की कमांडो ट्रेनिंग भी दी गई है ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति का वह मजबूती से मुकाबला कर सके और उसे फेल कर सकें. इस कमांडो ट्रेंनिंग माड्यूल को खास नई संसद भवन की सुरक्षा के मुताबिक ही तैयार किया गया है. इसके अलावा जवानों को मनोवैज्ञानिक यानी साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग भी दी गई है. ऐसा इसलिए ताकि वह किसी भी तरीके के दबाव की स्थिति का मजबूती से मुकाबला कर सकें और उनके आसपास जो महत्वपूर्ण लोग हैं उनकी सुरक्षा वह बेहद पुख्ता तरीके से कर सकें.

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