Himachal News || गजब हो गया, हिमाचल में बेटी की परीक्षा के लिए पिता ने 4 फीट बर्फ में बना दिया 4 किमी रास्ता
मनाली। बेटी की खुशी के लिए एक पिता नाममुकिन काम को भी हसंते हंसते हुए कर जाता है। ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में एक पिता ने कर दिखाया है। बेटी के लिए इस पिता ने चार फीट बर्फ की मोटी परत पर चार किलोमीटर तक रास्ता बना दिया। मामला कुल्लू जिला के पर्यटन स्थल मनाली के खंगसर की है। यहां 12वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा ऋषिका का पेपर था, लेकिन बाहर बर्फ की 4 फीट मोटी चादर ने उसका रास्ता रोक दिया। जिसके चलते बेटी उदास हो गई और उसकी आंखों में आंसू आ गए।
मनाली के खंगसर में बर्फ के बीच बनाया रास्ता
जब पिता ने बेटी को चिंता में डूबे हुए आंसू बहाते हुए देखा तो वह बेटी को परीक्षा केंद्र पहुंचाने के लिए निकल पड़े। ऋषिका के पिता रमेश ने 4 फीट मोटी बर्फ की परत में से बेटी के लिए चार किलोमीटर तक रास्ता बनाया और बेटी को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया। जिससे ऋषिका अपनी 12वीं की परीक्षा दे पाई।
4 फीट मोटी बिछी थी बर्फ की परत
बता दें कि हिमाचल में तीन दिन तक भारी बारिश और बर्फबारी से दुश्वारियां बढ़ गई हैं। प्रदेश के लाहौल स्पीति जिला सहित कई अन्य क्षेत्रों मंे भारी बर्फबारी हुई है। जिससे कई सड़क मार्ग बंद हो गए हैं। मनाली के खंगसर में भी 4 फीट मोटी बर्फ की चादर बिछी हुई थी। लेकिन यह बर्फ एक पिता के हौंसले को नहीं डगमगा पाई और पिता ने बेटी को परीक्षा केंद्र तक पहुंचा दिया।
परीक्षा के लिए मंजिल तक पहुंचाई बेटी
पिता रमेश ने बेटी को परीक्षा केंद्र में जाने के लिए समय से पहले निकलने को कहा। जिसके बाद आगे आगे पिता व पीछे पीछे बेटी ने एक दूसरे के सहारे बर्फ से ढके चार किलोमीटर सफर को पार कर लिया।
हालांकि पहले बर्फ की मोटी परत को देख कर पिता रमेश भी चिंता में पड़ गए थे। लेकिन उन्होंने हौंसला नहीं छोड़ा और बेटी के साथ उसकी परीक्षा दिलवाने के लिए निकल पड़े। आगे आगे चलते हुए वह बेटी के लिए रास्ता बनाते गए और उसी रास्ते से पीछे पीछे बेटी ऋषिका चलती गई। बता दें कि 3 दिन से लगातार हिमपात का क्रम जारी रहने से लाहौल घाटी में एक घर से दूसरे घर में पहुंचना चुनौती बना हुआ है। हालांकि 4 दिन बाद सोमवार को धूप खिली जिससे कुछ राहत मिली लेकिन ग्रामीणों को 4 फुट बर्फ की मोटी परत पर रास्ता बनाने में भारी दिक्कत हुई। ऋषिका के पिता ने बताया कि बेटी की परीक्षा थी, लेकिन बाहर बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई थी। फिर भी उन्होंने हिम्म्मत से काम लेते हुए रास्ता बनाया और बेटी को उसकी मंजिल तक पहुंचाया।