Himachal News: हिमाचल में पैंशन को तरसे सेवानिवृत्त कर्मचारी, सुक्खू सरकार की कर्ज लेने की सीमा हुई समाप्त
शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में 500 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाया है, जिससे चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित 6200 करोड़ रुपये की ऋण सीमा पूरी हो चुकी है। इसके अलावा, सरकार ने वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही के लिए भी अतिरिक्त ऋण के लिए आवेदन किया है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य के लिए अंतिम तिमाही में कर्ज जुटाने की सीमा 1700 करोड़ रुपये तय की गई थी। माना जा रहा है कि सरकार इस 500 करोड़ रुपये की अंतिम ऋण किस्त का उपयोग सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान करने के लिए कर सकती है। हालांकि, राज्य के 2.25 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को उनका वेतन समय पर दिया जा चुका है, लेकिन पेंशनभोगियों को अभी तक उनकी पेंशन नहीं मिल पाई है।
हर महीने 2000 करोड़ रुपये की जरूरत
गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हिमाचल प्रदेश को वेतन और पेंशन जैसे अनिवार्य खर्चों के लिए हर महीने 2000 करोड़ रुपये की जरूरत होती है। राज्य में राजस्व उत्पन्न करने वाले स्रोतों की कमी के कारण सरकार विभिन्न मदों के लिए केंद्र पर निर्भर है।पेंशन और वेतन में देरी बनी सुर्खियां
दो महीने पहले हिमाचल तब राष्ट्रीय चर्चा में आया जब सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनका वेतन और पेंशन देरी से मिली। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस देरी को "अतिरिक्त बचत" का कदम बताया। उन्होंने कहा कि महीने की पहली तारीख को वेतन देने के लिए ऋण लेने पर भारी ब्याज चुकाना पड़ता है, जिसे बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया।
पुरानी पेंशन योजना बनी वित्तीय बोझ
हिमाचल सरकार ने विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान किए गए वादों को पूरा करने के लिए 1.35 लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल की। हालांकि, इस फैसले ने सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत मिलने वाले 1500 करोड़ रुपये के अंशदान से राज्य को जो अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलती थी, वह अब ओपीएस के चलते बंद हो चुकी है।
आर्थिक चुनौतियों का समाधान आवश्यक
औसतन, हिमाचल प्रदेश को हर साल 8000 करोड़ रुपये की ऋण सीमा मिलती है, लेकिन यह राशि भी राज्य के खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। बढ़ते वित्तीय दबाव और राजस्व के सीमित साधनों को देखते हुए सरकार को दीर्घकालिक समाधान तलाशने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।