Reserve Bank of India : RBI का बड़ा फैसला, अब बैंक लोन न चुकाने वालों को मनमाने तरीके से नहीं कर पाएगा डिफॉल्टर घोषित
RBI ने सभी ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को साफ कह दिया है कि किसी भी बकायदार को एक तरफा डिफॉल्टर घोषित नहीं किया जा सकेगा
Reserve Bank of India : आरबीआई के इस फैसले का बैंकिंग सेक्टर पर क्या असर होगा? इससे बैंकों को अपने आंतरिक ऑडिट सिस्टम को मजबूत करना होगा और वे ग्राहकों पर मनमाने तरीके से कार्रवाई नहीं कर पाएंगे
नई दिल्ली: Reserve Bank of India : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) (rbi) ने धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन (risk management ) को लेकर बड़ा फैसला लिया है।भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों को शामिल करने के लिए अपने बैंकिंग दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। इससे पहले, बैंक अक्सर वसूली के नाम पर कुछ नोटिस (notice) भेजकर उधारकर्ताओं को डिफॉल्टर घोषित कर देते थे।इसके तहत अब बैंक को किसी खाते को डिफॉल्टर श्रेणी (defaulter categorie) में डालने से पहले कर्जदारों का पक्ष सुनना होगा। एसबीआई बनाम राजेश अग्रवाल मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले उधारकर्ता के अधिकारों की वकालत की।
आरबीआई ने सभी ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों और वित्त कंपनियों (companies) को स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी डिफॉल्टर को एकतरफा डिफॉल्टर घोषित नहीं किया जाएगा और उधारकर्ताओं को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाएगा। आरबीआई के इस फैसले का बैंकिंग सेक्टर (banking sector) पर क्या असर होगा? इससे बैंकों को अपने आंतरिक ऑडिट सिस्टम को मजबूत करना होगा और वे ग्राहकों पर मनमाने तरीके से कार्रवाई नहीं कर पाएंगे। इससे कर्जदाता समय-समय पर संबंधित अथॉरिटी को सभी तरह के अपडेट देते रहेंगे।
हालांकि, अब कर्जदाता मनमाने तरीके से खातों को डिफॉल्टर घोषित नहीं कर पाएंगे। जानते हैं क्या बदलेगा? RBI के इस फैसले से न सिर्फ ग्राहकों के लिए बल्कि बैंकों (banks) के लिए भी चीजें बदल जाएंगी। इसके तहत बैंकों को फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट (management) बनाना होगा जिसे बोर्ड से मंजूरी मिलेगी। इतना ही नहीं, बैंक किसी खाते को फ्रॉड घोषित करने के लिए विस्तृत कारण भी बताएगा।जानकारों का कहना है कि आरबीआई के इस निर्देश का बैंकिंग सेक्टर पर बड़ा असर पड़ेगा। बैंक अब धोखाधड़ी में शामिल संस्थाओं, प्रमोटरों और निदेशकों को कारण बताओ नोटिस (notice) जारी करेगा और नोटिस भेजे जाने के बाद जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिन का समय देना होगा। साथ ही बैंकों को इस मामले की निगरानी और फॉलोअप (followup)के लिए एक विशेष टीम बनाने का भी निर्देश दिया गया है।