Chmaba News: रावी में बही 177 टन लकड़ी का खुला राज, जांच में अवैध कटान नहीं, प्राकृतिक आपदा को ठहराया जिम्मेदार

Ravi river flood wood cause: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि रावी नदी में बाढ़ के दौरान बही 177 टन लकड़ी प्राकृतिक आपदा का नतीजा थी, न कि अवैध कटान का। अब वन विकास निगम इस लकड़ी का निस्तारण करेगा।

​Chmaba News:  शिमला:  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर गठित समिति ने रावी नदी में बाढ़ के दौरान बहकर आई लकड़ी की जांच रिपोर्ट पेश की है। समिति ने पाया कि अगस्त-सितंबर 2025 में असामान्य वर्षा और भूस्खलन के कारण 177 टन लकड़ी नदी में बह गई। इसमें देवदार, कैल, चीड़ समेत कई प्रजातियां शामिल थीं। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि यह प्राकृतिक आपदा का परिणाम है, न कि अवैध कटान। वन विभाग ने बताया कि लकड़ी के निस्तारण की जिम्मेदारी हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम को सौंपी जाएगी।

हिमाचल में मानसून के दौरान रावी नदी में बहकर आई टनों लकड़ी को लेकर जो सवाल उठ रहे थे, उन पर से अब पर्दा उठ गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर हुई जांच में यह साफ हो गया है कि यह किसी भी तरह के अवैध कटान का नतीजा नहीं, बल्कि पूरी तरह से कुदरत का कहर था। इस Ravi river flood के दौरान असामान्य बारिश और भूस्खलन के चलते ही यह सारी लकड़ी नदी में बहकर आई थी।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि अगस्त-सितंबर 2025 के महीने में हुई भारी बारिश और भूस्खलन के कारण चंबा और भरमौर के जंगलों से करीब 177 टन लकड़ी उखड़कर रावी नदी में बह गई। इस High Court investigation में सामने आया कि बहने वाली लकड़ी में देवदार, कैल और चीड़ जैसी कई कीमती प्रजातियां शामिल थीं।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि यह लकड़ी किसी भी तरह के अवैध कटान का नतीजा नहीं है। यह पूरी तरह से एक natural disaster यानी प्राकृतिक आपदा का परिणाम थी, जिसमें पेड़ों के जड़ से उखड़ने और भूस्खलन के कारण यह स्थिति पैदा हुई। इस रिपोर्ट ने वन विभाग पर लग रहे अवैध कटान के आरोपों को भी खारिज कर दिया है, जिससे विभाग ने राहत की सांस ली है। जांच रिपोर्ट आने के बाद अब इस लकड़ी के निस्तारण का रास्ता भी साफ हो गया है। वन विभाग ने यह जिम्मेदारी हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम को सौंप दी है। यह forest department action सुनिश्चित करेगा कि बहकर आई लकड़ी को नदी से निकालकर उसका सही उपयोग किया जा सके और भविष्य में नदी के बहाव में कोई रुकावट पैदा न हो।