Kainaz Messman: एक्सीडेंट की वजह से छूटी शेफ की नौकरी, आज बना चुकी हैं करोड़ों की फूड कंपनी

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न्यूज हाइलाइट्स

सारांश:

Kainaz Messman, Success Story in Hindi |   यदि आप हार नहीं मानेंगे तो कोई भी आपकी जीत (winning) आपसे नहीं छीन सकता।ऐसी ही कहानी है कैनाज़ मेसमैन हरचंद्राय की, जिनका सपना dream)  पहले शेफ बनने का था, लेकिन आज उन्होंने 121 करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर ली है। सुनने में आसान लगता है लेकिन पहले शेफ बनने और फिर बिजनेस वूमन बनने का ये सफर कैनाज़ मेसमैन के लिए संघर्ष (struggle) भरा रहा है। कैनाज़ एक ऐसे परिवार (family) से ताल्लुक रखती हैं जहां लोग खाना बनाने और तरह-तरह के खाने के शौकीन हैं। मां की मदद से कैनाज़ बचपन से ही खाना बनाना सीख रही हैं। 16 साल की उम्र में वे अपने परिवार के साथ फ्रांस की यात्रा (toure) पर गईं, इस यात्रा ने उनकी जिंदगी बदल दी, इसी यात्रा के दौरान उन्होंने तय किया कि उन्हें शेफ बनना है। हादसे के बाद भी अपने जुनून का पालन किया अपने सपनों का पीछा करते हुए कैनाज़ ने देश के मशहूर (famous) ‘इंडियन होटल मैनेजमेंट’ , मुंबई से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की 24 साल की उम्र में उनका एक्सीडेंट हो गया था जिसके बाद उन्हें काफी समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा। डॉक्टरों ने कहा कि वो अब शेफ का काम नहीं कर पाएंगी क्योंकि इस काम के लिए उन्हें पूरा दिन अपने पैरों पर खड़े रहना पड़ता है।

 

आज थियोब्रोमा करोड़ों का बिजनेस वेंचर बन चुका है।

डॉक्टर की बातें कैनाज का दिल और सपने (dreams) तोड़ने वाली थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अब तक वो सिर्फ शेफ का काम करती थीं, लेकिन इस एक्सीडेंट के बाद उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने अपने पिता से 1 करोड़ रुपए उधार लिए और 2004 में अपनी बहन टीना मेसमैन के साथ मिलकर बेकरी का बिजनेस (business) शुरू किया, जिसे अब थियोब्रोमा के नाम से जाना जाता है।

आज थियोब्रोमा के देशभर में 78 से ज्यादा आउटलेट हैं, जो हर देश के बड़े शहरों और बड़े होटलों में स्थित हैं। महज 1 करोड़ रुपये के बजट से शुरू हुआ यह व्यवसाय वित्तीय वर्ष 2021 के अनुसार 121 करोड़ रुपये से अधिक का उद्यम बन गया है। अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के बल पर, कैनज़ मेसमैन ने अपना व्यवसाय (business) खड़ा किया, उनकी कहानी आज कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है।कैनाज के पिता ने अपने एक करोड़ रुपए कभी वापस नहीं लिए, बल्कि कहा कि जिस उद्देश्य से उन्होंने यह पैसे दिए थे, उसे आगे भी जारी रखा जाए।

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