वोटिंग के बाद हो जाए प्रत्याशी की मौत तो क्या होगा? जानें चुनाव आयोग का नियम

वोटिंग के बाद हो जाए प्रत्याशी की मौत तो क्या होगा? जानें चुनाव आयोग का नियम
Lok Sabha Polls 2024 || Image credits ।। Cenva

नई दिल्ली: 19 अप्रैल 2024 को लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान समाप्त हो गया था। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में पहले चरण के चुनाव में मतदान हुआ। चुनाव के बाद, भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह का निधन हो गया। इस घटना के बाद से लोगों को सवाल है कि चुनाव आयोग अब जब चुनाव प्रत्याशी मर चुका है तो क्या करेगा? इस पद पर उपचुनाव होगा? या कोई दूसरा रास्ता चुना जाएगा? इन्हीं सवालों का जवाब हमारी इस खबर में पता चलेगा।

सर्वेश सिंह का निधन कैसे हुआ?

19 अप्रैल को मुरादाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ। 20 अप्रैल की शाम 71 वर्ष की उम्र में भाजपा के प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह का निधन हो गया। भाजपा ने उन्हें टिकट देने के दौरान भी वह अस्पताल में भर्ती थे। 2014 में यूपी के मुरादाबाद से सर्वेश सिंह ने लोकसभा चुनाव जीता था। उससे पहले, वह यूपी की ठाकुरद्वारा सीट से चार बार विधायक थे। 

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क्या फिर से वोटिंग होगी?

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, चुनाव के परिणाम का इंतजार किया जाएगा अगर प्रत्याशी का निधन होता है जब चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मतगणना के बाद किसी अन्य प्रत्याशी को जीत मिलने पर दोबारा चुनाव नहीं होना चाहिए, क्योंकि नियम कहता है कि ऐसा नहीं होगा। चुनाव को रद्द कर दिया जाएगा अगर कुंवर सर्वेश सिंह जीतते हैं। इस पद पर उपचुनाव या दोबारा वोटिंग की आवश्यकता होगी। क्योंकि वह तब अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करेगा। अगर इस पद पर चुनाव 6 महीने के भीतर होंगे, तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151A के तहत।

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क्या होगा अगर वोटिंग से पहले निधन हो जाए?

यदि किसी प्रत्याशी को वोटिंग से पहले ही निधन हो जाता है और नामांकन और नाम वापस लेने की तारीख खत्म हो जाती है, तो चुनाव उस सीट पर रद्द कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में श्रीगंगानगर की करणपुर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन हो गया था। उनका नामांकन हुआ। इसलिए वे इस पद पर नई तिथि पर चुने गए थे। 

वोटिंग के बाद नियम क्या कहता है:

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, यदि वोटिंग के बाद मैदान में उतरे किसी प्रत्याशी की मौत हो जाती है तो चुनाव आयोग वोटों की गिनती तक इंतजार करता है। हम सब जानते हैं कि काउंटिंग के बाद एक प्रत्याशी जीता होती है।  यदि चुनाव काउंटिंग के बाद मरने वाले उम्मीदवार की जीत होती है, तो चुनाव रद्द कर दिया जाता है क्योंकि उम्मीदवार क्षेत्र के प्रतिनिधत्व के लिए अब जीवित नहीं है। अब उस सीट पर चुनाव, 1951 की धारा 151A के तहत 6 महीने के भीतर कराने होंगे।  मतगणना के बाद किसी अन्य प्रत्याशी की जीत होने पर चुनाव रद्द नहीं होता। चुनाव में विजेता उम्मीदवार होता है।

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