Rural Job Scheme MGNREGA || वित्त वर्ष की पहली छमाही में मनरेगा कामगारों की संख्या बढ़ी, बेरोजगारी के लिए बेहतर संकेत नहीं

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Rural Job Scheme MGNREGA || वित्त वर्ष की पहली छमाही में मनरेगा कामगारों की संख्या बढ़ी, बेरोजगारी के लिए बेहतर संकेत नहीं

Rural Job Scheme MGNREGA || भारत सरकार द्वारा ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा (MGNREGA Demand) में काम करने का इरादा बढ़ा है। रोजगार की चाह रखने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होना चिंता का विषय है क्योंकि यह इस बात की ओर इशारा करता है कि लोगों को पुराना काम छूट रहा है। मनरेगा में इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में काम करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। माना जाता है कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद कम है। इससे देश की अर्थव्यवस्था चिंतित है।

मनरेगा के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन है

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए निर्धारित बजट का 93% अभी तक खर्च हो चुका है। मनरेगा में काम करने वालों की संख्या इससे लगता है कि सरकार द्वारा निर्धारित बजट कम हो सकता है। सरकार को बजट में भी इजाफा करना पड़ा सकता है। इस वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 60,000 करोड़ रुपये का बजट बनाया था। ये सभी जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिली है। मनरेगा के लिए अभी सरकार के पास पर्याप्त धन है, उन्होंने कहा। पैसों की कमी नहीं होने से यह योजना सफल हो रही है। केंद्रीय मंत्रालय ने मनरेगा फंड के मुद्दे पर कहा कि पश्चिम बंगाल में धन की कमी नहीं हुई, बल्कि केंद्र सरकार के नियमों की अवहेलना हुई।

Rural Job Scheme MGNREGA || वित्त वर्ष की पहली छमाही में मनरेगा कामगारों की संख्या बढ़ी, बेरोजगारी के लिए बेहतर संकेत नहीं
Rural Job Scheme MGNREGA || वित्त वर्ष की पहली छमाही में मनरेगा कामगारों की संख्या बढ़ी, बेरोजगारी के लिए बेहतर संकेत नहीं

शहरों में कामगार की कमी

विशेषज्ञों का कहना है कि मनरेगा के तहत गांवों में काम करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इतना ही नहीं, गावों में बढ़ रही बेरोजगारी का कारण शहरों में कामगारों की कमी हो सकती है। यानी बहुत सी फैक्ट्रियों में काम नहीं चल सकता।

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