Navratri 2024 5th Day || नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की आरती, जीवन में आएंगी खुशियां
Skandmata Aarti Lyrics Perform Aarti Of Mother Skandmata On The Fifth Day Of Navratri 2024 04 12
Navratri 2024 5th Day || 13 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में स्कंदमाता को मोक्ष का रास्ता खोला देने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का कहना है कि स्कंदमाता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। स्कंदमाता की आकृति सुंदर है। वह चार भुजाओं से दो हाथों में कमल का फूल लिए हुए लगती है।
Navratri 2024 5th Day || 13 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में स्कंदमाता को मोक्ष का रास्ता खोला देने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का कहना है कि स्कंदमाता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। स्कंदमाता की आकृति सुंदर है। वह चार भुजाओं से दो हाथों में कमल का फूल लिए हुए लगती है। स्कंदजी बाल रूप में एक हाथ से बैठे हैं। माता दूसरी ओर बाण पकड़े हुए है। भक्त को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनका जीवन खुशियों से भर जाता है। माना जाता है कि स्कंदमाता की पूजा और आरती करना संतान लाता है। भक्त स्कंदमाता की पूजा करने से मोक्ष प्राप्त होता है। सूर्य की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण उनकी आराधना करने वाले व्यक्ति को अद्भुत तेज और कांतिमय बनाया जाता है। यहाँ स्कंदमाता की आरती की जाती है—
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥
स्कंदमाता का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥