Maha Shivratri 2024 || जब श्मशान में एक अर्थी को देखकर हंसने लगे शिवजी, Maha Shivratri पर पढ़ें रोचक कथा
Maha Shivratri 2024 || हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 08 मार्च को रात 09 बजकर 47 मिनट से होगी, जिसका समापन 09 मार्च को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा।
Maha Shivratri 2024 || महाशिवरात्रि 8 मार्च को है. शिवजी से जुड़ी कई प्रसिद्ध कथाएं आपने सुनी होंगी. लेकिन सिहोर वाले पं. प्रदीप मिश्रा ने महादेव की एक बड़ी रोचक कथा सुनाई है. शिव पुराण के अनुसार, एक बार भगवान शिव श्मशान में बैठे थे और माता पार्वती उनकी सेवा कर रहीं थीं. भोलेनाथ मौन थे और पार्वती उन्हें गंगाजल, बेलपत्र चढ़ा रही थीं.
थोड़ी देर बाद श्मशान में एक अर्थी आई. शंकर भगवान ने उस अर्थी को देखा और मंद-मंद मुस्कुराने लगे. शिवजी को यूं मुस्कुराते देख पार्वती आश्चर्य में पड़ गईं. तब माता पार्वती ने भोलेनाथ से पूछा कि श्मशान में आई इस अर्थी को देखकर आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं. आखिरी इसकी वजह क्या है? तब महादेव ने कहा कि पार्वती श्मशान में ये जो अर्थी आई है, इस पर एक सेठ लेटा है. ये रोज मेरी पूजा करता था. फिर पार्वती ने पूछा कि आपका भक्त होने के बावजूद आप इसकी अर्थी पर क्यों हंस रहे हैं.तब महादेव ने कहा, 'यह सेठ हमेशा मेरी तस्वीर की पूजा तो करता था, लेकिन दिन में 50 बार मेरी झूठी सौगंध खा जाता था.' पार्वती ध्यान से शिव की बात सुनती रहीं. शिवजी ने कहा, 'सेठ मेरी झूठी कसम खाता था. पाप करता था. झूठ बोलता था. छल-कपट करता था. लेकिन मेरी पूजा करता था. इसलिए मैं इसे ज्ञान देने इसके घर भी गया.' शिवजी महात्मा वेष धारण कर सेठ के यहां गए और 2 रात उसके घर आराम किया. तब शिवजी ने सेठ से कहा कि सेठ जल्द ही तुम मरने वाले हो, इसलिए कुछ पुण्य के काम कर लो.
यह सुनकर पहले तो सेठ भड़क गया, लेकिन थोड़ी देर बाद उसने साधु से पूछा कि बताओ क्या करना है. तब साधु ने कहा कि तुम घर छोड़कर वैराग्य जीवन अपना लो. फिर सेठ ने कहा कि ठीक है. मैं वैराग्य अपनाने के लिए तैयार हूं. लेकिन पहले मेरे बेटे की शादी हो जाए और उसके बच्चों का मुंह मैं देख लूं. फिर जो तुम कहोगे कर लूंगा.
कुछ दिन बाद जब बेटे की शादी हो गई और घर में बच्चे आ गए तो साधु के वेष में शिव फिर सेठ के दरवाजे पर जा पहुंचे. लेकिन तब सेठ घर-परिवार के मोह में पड़ चुके थे. सेठ ने साधु से चिल्लाते हुए कहा, 'तुम मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ते. तुम तो वैरागी हो चुके हो. अब क्या मुझे भी अपने जैसा बनाओगे.' यह सुनकर साधु वहां से चला गया. अंतत: सेठ घर-परिवार में इतना व्यस्त हो गए कि मंदिर, शिवालय में जाना तक बंद कर दिया. आखिर में यमराज ही उसे लेकर गए. वो मृत्यु को प्राप्त हो गया.