पत्रिका डेस्क: दुनिया के सात अजूबों में सिहोनिया ककनमठ मंदिर (Sihonia Kakanamath Temple) शामिल न किया गया हो लेकिन रहस्य मंदिर की खासियत यह है कि जो भी इसके बारे में सुनता है वह जरूर उसे देखना चाहता है। बड़ी-बड़ी आंधी तूफान आए लेकिन इसमें मंदिर के आसपास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं। लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, मंदिर के बारे में कमाल की बात तो यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है व आसपास के इलाके में यह पत्थर नहीं मिलते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि ककनमठ मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह की सीमेंट व अन्य समग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सभी पत्थर एक के उप्पर एक रखे हुए हैं। मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े से बड़ा तूफान और आंधी भी से हिला नहीं पाई है। कुछ लोग यह मानते हैं कि इस मंदिर में कोई चमत्कारी अदृश्य शक्ति है, जो मंदिर की रक्षा करती है इस मंदिर के बीचोंबीच एक भव्य शिवलिंग स्थापित है।
120 फीट ऊंचे इस मंदिर का ऊपरी हिस्सा और गर्भगृह के साथ सुरक्षित है। इसकी एक और विशेषता यह है कि मंदिर के आसपास के सभी मंदिर टूट गए हैं। लेकिन ककनमठ मंदिर अभी भी सुरक्षित है। बताया जाता है कि मुस्लिम शासकों ने इसे तोड़ने के लिए गोले भी दागे गए थे लेकिन इस तोड़ने में व असमर्थ रहे। लेकिन ग्वालियर चंबल के बीहड़ों का ककनमठ मंदिर आज की दुनिया के सामने खड़ा है ककनमठ मंदिर की सीढ़ियों के पास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एक पत्र पर इसका संक्षिप्त इतिहास लिखा है। जिसके माध्यम से आप इस मंदिर के बारे में थोड़ा बहुत जान सकते हैं। इन बातों से कई बड़ी बाते इस मंदिर की दीवारों में छिपी हुई है। मंदिर का नाम रानीककनमती के नाम पर रखा गया है लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में लगे शिलालेख में पुख्ता तौर पर यह बात नहीं लिखी है कि मंदिर का निर्माण रानककनती नहीं करवाया था।
मंदिर के निर्माण को लेकर जो अटकले है, उसमें यह बताया जाता है कि कहीं दूर से खाली मैदान में पत्थर लाकर भूतों ने एक रात में मंदिर का निर्माण कर दिया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर बनते बनते सुबह होने से पहले ही कोई जाग गया था उसने आटे की चक्की चलाने के लिए लकड़ी तोड रहा था। जिसकी आवाज सुनकर का निर्माण अधूरा छोड़कर भूत चले गए। गांव के लोगों का कहना है कि इस कहानी को ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन मंदिर परिसर में इसके अवशेष देखकर यह लगता है कि मंदिर पहले भाग्य बना था और पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता। बताया जाता है कि मंदिर की परिक्रमा में पत्थरों से फटी हुई थी लेकिन मुस्लिम शासकों जब इस पर हमला किया और इसे दबाने की कोशिश भी की थी जानकारों का यह भी कहना है कि उस समय भारत में कई मंदिरों का निमार्ण हुआ था। ककनमठ मंदिर परिसर में इसके चारों और टूटी फूटी पत्थरों का जमावड़ा है इसके बारे में दो तरह की कहानियां बताई जाती है कुछ लोग तो यह कहते हैं कि पत्थर मंदिर के निर्माण में लगना था लेकिन लग नहीं पाया। इसीलिए यह अधूरा रह गया जबकि दूसरी जानकारी यह है कि मंदिर पहले बना हुआ था लेकिन कुछ समस्याओ की वजह से इसे थोड़ा गया।