अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार देखा जाए तो होली का त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है। रंग-बिरंगी होली के इस त्यौहार का लोग साल भर से बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली वाले दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। होली हर साल फाल्गुन माह में मनाया जाता है। दुनिया भर में भारत की होली मशहूर है। अभी फाल्गुन का महीना चल रहा है और होली बहुत ही जल्द आने वाली है। लेकिन होली से एक दिन पहले की रात में होलिका दहन की जाती है और उसके अगले दिन होली और धुलेंडी मनाई जाती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से होली और होलिका दहन कब है? उसकी सही तारीख और शुभ मुहूर्त के बारे में बताने वाले हैं।
होलिका दहन की तारीख और शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक हर वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन की जाती है। प्रदोष काल का समय होलिका दहन के लिए चुना जाता है, जिसमें भद्रा का साया ना हो। इस बार होलिका दहन 17 मार्च गुरुवार के दिन की जाएगी। अगर हम होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के बारे में बात करें तो रात 9:06 बजे से रात 10:16 बजे तक रहेगा। इस समय में भद्रा की पूंछ रहेगी।
जानिए होली की तारीख और शुभ मुहूर्त
17 मार्च को होलिका दहन है, तो होली का त्यौहार 18 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन के अगली सुबह होली और धुलेंडी खेली जाती है। होली के दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 12:53 बजे तक रहेगा। यह होली का अभिजीत मुहूर्त है।
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होलिका दहन के दिन भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये काम
होलिका दहन के दिन आप भूलकर भी काले रंग के वस्त्रों का धारण ना करें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रभावी होती हैं। आप होलिका दहन के समय सिर खुला ना रखें। होलिका दहन की रात को लोग टोने-टोटके भी करते हैं। इसी वजह से आप इस दिन किसी के घर पर खाना ना खाएं। नवविवाहित महिलाओं को होली जलते हुए नहीं देखनी चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होलिका को जलते देखने से नवविवाहित महिलाओं की जिंदगी में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
होलिका दहन वाले दिन आप बासी भोजन का सेवन मत कीजिए और ना ही इस दिन दक्षिण दिशा की तरफ अपना मुख करके खाना खाएं। होलिका दहन की रात को तंत्र की रात्रि माना जाता है। इसी वजह से इस दिन भूलकर भी सुनसान इलाकों में ना जाएँ। होलिका दहन के दिन आप किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन भूलकर भी ना करें। अगर किसी को पुत्र की प्राप्ति हो चुकी है, तो उनको होलिका दहन खुद से नहीं जलाना चाहिए। आप किसी पंडित से या किसी और से करवा सकते हैं। आपको बता दें कि हिंदुओं के कई अन्य पर्वों की भांति होलिका दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। होली से 8 दिन पहले ही प्रह्लाद को बंदी बनाकर प्रताड़ित किए जाने लगा था। इसलिए होली से 8 दिन पहले के समय को होलाष्टक कहा जाता है। इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।