Chabi wale baba ji : क्या आपने कभी देखा है चाबी वाले बाबा, 20 किलोग्राम की चाबी लेकर पहुंचा महाकुंभ

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न्यूज हाइलाइट्स

सारांश:

Chabi wale baba ji : चाबी वाले बाबा एक विशाल 20 किलोग्राम की चाबी लेकर चलते हैं, जिसे वह "राम नाम की चाबी" कहते हैं। उनका मानना है कि इस चाबी के माध्यम से वह आंतरिक शांति को खोल सकते हैं। बाबा का विश्वास है कि यह चाबी मानसिक शांति और आत्म-संयम का प्रतीक है, और वे इसे दूसरों को भी शांति प्राप्त करने का रास्ता बताते हैं। 

Chabi wale baba jiउत्तर प्रदेश का प्रयागराज 12 सालों बाद पवित्र महाकुंभ के लिए तैयार हो गया है इस पवित्र कुंभ नगरी के लिए हर दिन हजारों की तादात में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।  इतना ही नहीं देश के हर कोने से संत महात्मा लोग भी यहां पहुंच रहे हैं आप वही संत इन दिनों अपने खाते अंदाज के कारण लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहे जो अपने रहस्यमई चाबी के कारण इन दिनों सुर्खियों में है । प्रयागराज की पवित्र नगरी इस समय श्रद्धालुओं (devotees) और संतों (saints) से भरी हुई है, जहां आध्यात्मिकता (spirituality), साधना (meditation) और आस्था (faith) का संगम देखने को मिल रहा है। लेकिन इस बीच, एक बाबा (Baba) अपने अनोखे अंदाज और रहस्यमयी चाबी (key) के कारण सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनका नाम है ‘चाबी वाले बाबा’, जिनके हाथ में 20 किलो की विशाल लोहे की चाबी (iron key) है, जो उनके आध्यात्मिक संदेश (spiritual message) और जीवन के उद्देश्य (purpose of life) का प्रतीक है। इस चाबी के पीछे का रहस्य (secret) और बाबा की अनोखी जीवन यात्रा (life journey) लोगों को हैरान कर रही है।

कौन हैं चाबी वाले बाबा?

चाबी वाले बाबा का असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा है। 50 वर्षीय बाबा (Baba) उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के निवासी हैं और बचपन से ही उनका झुकाव आध्यात्मिकता (spirituality) की ओर था। हालांकि, समाज (society) और परिवार (family) के डर के कारण उन्होंने इसे खुलकर व्यक्त नहीं किया। 16 साल की उम्र में उन्होंने अपने घर-बार (home) को छोड़कर समाज (society) की बुराइयों और नफरत (hatred) से लड़ने का निर्णय लिया। कबीरपंथी विचारधारा (Kabir Panth philosophy) अपनाने के बाद, लोग उन्हें ‘कबीरा बाबा’ के नाम से पुकारने लगे।

चाबी का रहस्य: जीवन और सत्य का प्रतीक

बाबा के अनुसार, उनके पास जो चाबी (key) है, वह केवल लोहे का टुकड़ा (iron piece) नहीं, बल्कि जीवन (life) और सत्य (truth) का प्रतीक है। बाबा कहते हैं, “यह चाबी (key) लोगों के अहंकार (ego) और मन में बसे अंधकार (darkness) का ताला खोलने के लिए है।” उनका मानना है कि इंसान (human) के जीवन (life) का असली उद्देश्य (true purpose) उसके भीतर छिपा होता है, जिसे समझने के लिए आत्ममंथन (self-reflection) की जरूरत है। चाबी के साथ उनकी यात्रा (journey) देश के हर कोने तक पहुंच चुकी है। उनका संदेश (message) है कि अध्यात्म (spirituality) बाहरी वस्तु नहीं, बल्कि हर इंसान (human) के भीतर है, जिसे पहचानने के लिए अपने अहंकार (ego) को छोड़ना जरूरी है।

रथ और बाबा की अनोखी यात्रा

चाबी वाले बाबा ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा (spiritual journey) की शुरुआत साइकिल (bicycle) से की थी, लेकिन अब उन्होंने अपने लिए एक अनोखा रथ (chariot) तैयार किया है। इस रथ (chariot) को खींचने के लिए न तो इंजन (engine) है और न ही कोई घोड़ा (horse)। बाबा खुद अपनी मजबूत भुजाओं (arms) से इसे खींचते हैं। वह कहते हैं, “मुझे किसी की मदद (help) की जरूरत नहीं है। मेरे पास ताकत (strength) और आत्मविश्वास (confidence) है। यह रथ (chariot) मेरा विश्वास (belief) है और इसे मैं खुद खींचता हूं।” उनके इस आत्मनिर्भरता (self-reliance) भरे अंदाज ने लोगों को प्रभावित किया है।

समाज सेवा और बाबा का उद्देश्य

बाबा ने अपना पूरा जीवन समाज (society) की बुराइयों, जैसे भ्रष्टाचार (corruption), नफरत (hatred) और असमानता (inequality) को दूर करने में समर्पित किया है। उनका मानना है कि जब समाज (society) का हर व्यक्ति खुद में सुधार (self-improvement) लाएगा, तभी एक नया और बेहतर युग (era) संभव हो सकेगा। बाबा बताते हैं कि जब वे किसी से चाबी (key) के रहस्य (secret) के बारे में बात करना चाहते हैं, तो लोग यह सोचते हैं कि वह उनसे पैसे (money) मांग रहे हैं, लेकिन उनका उद्देश्य (purpose) पैसे लेना नहीं, बल्कि समाज (society) को सुधारने का संदेश (message) देना है।

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