Pangi Jukaru Festival 2025: चंबा (Chamba) जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी (Pangi) में चल रहे 12 दिवसीय जुकारू उत्सव (Jukaru Festival) के पांचवें दिन पारंपरिक पंजालू उत्सव (Panjalu Festival) का आयोजन किया गया। भारी बर्फबारी (Heavy Snowfall) के बावजूद दूर-दूर से श्रद्धालु और दर्शक इस मेले को देखने के लिए साच (Sach) पहुंचे। यह मेला साच गांव के कुलदेवता पंच नाग देवता (Panch Nag Devta) को समर्पित है। इस मेले में प्रजामंडल (Prajamandal) के सात सदस्य अपने चेहरे पर मुखौटा पहनकर दंगणी नृत्य (Dangni Dance) करते है। जो इस मेले का मुख्य आकर्षण रहता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार पंजालू मेला (Panjalu Fair) जुकारू उत्सव के पांचवें दिन साच गांव (Sach Village) में मनाया गया। इस दिन नाग देवता (Nag Devta) के कारदार (Kardar) अपने घरों में पितरों (Ancestors) की पूजा-अर्चना करने के बाद धूप की कढ़छी लेकर मेला स्थल पर पहुंचते है।
सुबह करीब 7 बजे बजंत्री (Bajantri) दल नाग देवता के ठाठणी (Thathani) और पुजारी (Priest) का स्वागत करने के लिए ठोल-नगाड़ों (Drums) के साथ उनके घर के समीप पहुंचते है। इसके बाद पुजारी और अन्य कारदार पारंपरिक पंगवाली पोशाक (Pangwali Attire) पहनकर मेला स्थल की ओर बढ़ते हैं। मेला स्थान पर सबसे पहले कुल देवता (Kul Devta) की पूजा की जाती है और विश्व कल्याण (World Welfare) के लिए प्रार्थना की जाती है।
मेले की सबसे रोचक परंपरा स्वांग नृत्य रहा। अपनी अजीबोगरीब वेषभूषा (Costume) और मुखौटे (Masks) पहनकर पारंपरिक दंगणी नृत्य (Dangni Dance) न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि इसमें छिपे धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश भी लोगों को जोड़ते हैं। पंजालू मेले के अंत में घूरेई नृत्य (Ghurei Dance) किया जाता है, जो समापन का प्रतीक होता है। इस नृत्य में स्थानीय लोग और पुजारी मिलकर पारंपरिक रीति-रिवाजों (Rituals) के अनुसार उत्सव को समाप्त करते हैं।