Jukaru Festival 2024 || श्राप से मुक्त नहीं हो पाया पांगी का यह गांव, जुकारू के दिन भी नहीं होती घरों में सजावट
न्यूज हाइलाइट्स
Jukaru Festival 2024 || पांगी: जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र पांगी घाटी में 12 दिवसीय जुकारू उत्सव मनाया जा रहा है। जुकारू पर्व के उपलक्ष पर घाटी के लोगों की अपनी आस्था व मान्यताएं काफी दिलचस्प मानी जाती है। लेकिन आज हम आपको पांगी घाटी के एक ऐसे अद्भुत दिव्य स्थान के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहां पर लोग अपने घरों में जुकारू के उपलक्ष पर लिपाई पुताई वह घरों में सजावट नहीं करते हैं। इसके पीछे की काफी दिलचस्प कहानी बताई जा रही है। गांव के पूर्वजों से मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत मिंधल के अंच गांव में जुकारू उपलक्ष पर तकरीबन 15 घरों में लिपाई पुताई नहीं की जाती है। अंच गांव पूरे पांगी घाटी में एकमत्र ऐसा गांव होगा जहां पर लोग अपने घरों में रंग नहीं करते है। न ही यहां के लोग चारपाई पर सोते हैं। इसके पीछे का कारण मां मिंधल वासनी का श्राप बताया जा रहा है ।
मान्यता के अनुसार जब मां मिंधल वासनी मिंधल भटवास नामक स्थान पर प्रकट हुई तो तो इस दौरान माता ने गांव वासियों को एक वरदान के साथ एक श्राप भी दिया हुआ हे। वरदान के तौर पर मिंधल माता ने गांव में एक बैल से खेती करने का वरदान दिया। वहीं श्राप के तौर पर मां ने मंदिर के पीछे वाले गांव जिसे अंच के नाम से जाना जाता है। वहां पर लोग कभी चारपाई पर नहीं सोएंगे ना ही अपने घरों में लिपाई पुताई वह सजावट करेंगे । इसी कारण आज दिन तक गांव वासी अपने घरों में लिपाई पुताई व लिखावट नहीं करते हैं। घाटी का एकमात्र यह ऐसा गांव है जहां पर 12 दिनों तक राजा बलि की पूजा नहीं की जाती है। यहां के लोगाें जुकारू उत्सव के दौरान भी मां मिंधल वासिनी की पूजा करते है।
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