Who is Middle Class: नई दिल्ली: आपने अक्सर एक बात तो जरूर सुनी हुई होगी कि देश में अमीर और अमीर होता जा रहा है वही गरीब और भी गरीब होता जा रहा है लेकिन अब चर्चा होनी सबसे ज्यादा मेडल क्लास देश में मिडिल क्लास के बड़ी आबादी है इसलिए हर बजट में मिडिल क्लास की बात की जाती है वहीं इस बार के बजट में भी मिडिल क्लास की बात की जाए जब भी बजट आता है तो उसमें मिडिल क्लास के लोगों को काफी केंद्र सरकार से उम्मीदें रहती है । आपकी जानकारी के लिए बता दे की मिडिल क्लास लोगों को इनकम टैक्स की छूट की बात हो या जीएसटी जैसी बड़ी सुविधा निशुल्क दी जाती है। वही दिल्ली जैसे बड़े शहरों की बात की जाए तो जहां पर तकरीबन 30 फ़ीसदी मिडिल क्लास की आबादी रहती है ऐसे में हर तीसरा वाटर मिडिल क्लास की कैटेगरी में आता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक से सबसे ज्यादा दबाव मिडिल क्लास पर पड़ रहा है उनकी आमदनी घट रही है और खर्च बढ़ रहे हैं यही नहीं टैक्स का भी भोज सबसे ज्यादा मिडिल क्लास पर ही पड़ता है ऐसे में मिडिल क्लास ही अपनी रणनीति और अर्थनीति के केंद्र में है।
Goldman Sachs के अनुसार भारत में करीब 10 करोड़ लोग अपर क्लास (Affluent) यानी संपन्न कैटेगरी में आते हैं. ये अनुमान साल 2024 के लिए लगाया गया था. कुछ संस्थान और एक्सपर्ट्स 12 करोड़ लोगों को अपर क्लास (Upper Class) में रखते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष $10,000 से अधिक कमाने वालों को अपर क्लास (Affluent) कहा जाता है. वहीं तमाम रिपोर्ट्स में सालाना 9-12 लाख से अधिक कमाने वाले अपर क्लास (Upper Class) में आते हैं. इस कैटेगरी को आप अमीर (Rich) भी कह सकते हैं.
अब मिडिल क्लास (Middle Class) की बात करते हैं, जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है…
साधारण तौर पर 3 लाख से 10 लाख तक आय वाले मिडिल क्लास (Middle Class) में आते हैं. वहीं एक परिभाषा ये भी है कि जिनकी प्रति व्यक्ति आय 2.5 लाख रुपये सालाना है, वो मिडिल क्लास (Middle Class) के दायरे में आते हैं. यानी अगर एक परिवार में चार सदस्य हैं और उनकी प्रति व्यक्ति आय 2.5 लाख रुपये सालाना है तो फिर पूरे परिवार की आय सालाना करीब 10 लाख रुपये होती है, इस हिसाब से ये परिवार मिडिल क्लास (Middle Class) कहलाएगा.
वहीं, कुछ साल पहले ही इंडियन थिंक टैंक (Indian Think Tank) के एक सर्वे में बताया गया था कि जिन परिवार की इनकम 5-30 लाख रुपये सालाना होती है, उन्हें मिडिल क्लास (Middle Class) की कैटेगरी में माना जाता है. मास्टरकार्ड (MasterCard) की रिपोर्ट के हिसाब से जो लोग सालाना 1,51,651 रुपये कमाते हैं, वो मिडिल क्लास (Middle Class) में आते हैं. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि 25 हजार रुपये से लेकर 10 लाख तक कमाने वाले मिडिल क्लास (Middle Class) में आते हैं. कहा जाता है कि मिडिल क्लास (Middle Class) की आबादी देश में 30 फीसदी से ज्यादा है, यानी मिडिल क्लास (Middle Class) की संख्या करीब देश में 30 करोड़ है, जबकि कुछ जानकार 50 करोड़ लोग को मिडिल क्लास (Middle Class) के दायरे में मानते हैं. लोअर क्लास (Lower Class): मिडिल क्लास से नीचे के लोग लोअर क्लास (Lower Class) में आते हैं, यानी जिनकी आय 3 लाख रुपये से भी कम है, वो सभी लोअर क्लास (Lower Class) में आते हैं और देश में सबसे ज्यादा इस कैटेगरी के लोग हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश में कम से कम 80 करोड़ लोग इसके दायरे में आते हैं.
पिछले साल यूरोप में रह रहे भारतीय निवेशक और ट्रेडर सौरव दत्ता (Saurav Datta) का एक पोस्ट के जरिये बताया था कि भारत में कौन अमीर (Rich) है कौन गरीब. उनके एनालिसिस के हिसाब से आज के दौर में अगर किसी व्यक्ति के पास 10 लाख रुपये लिक्विड नेटवर्थ (Liquid Net Worth) है तो गरीब की कैटेगरी में आता है. वहीं, जिस व्यक्ति के पास 50 लाख लिक्विड नेटवर्थ (Liquid Net Worth) है तो वो लॉअर मिडिल (Lower Middle), 1 करोड़ की नेटवर्थ (Net Worth) है तो मिडिल क्लास (Middle Class), 2 करोड़ है तो अपर मिडिल क्लास (Upper Middle Class), 5 करोड़ है तो अमीर (Rich) और 10 करोड़ है तो एचएनआई (HNI) यानी हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (High Net Worth Individual) कैटेगरी में आता है.