Success Story: भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है ऐसे में आज का आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे विद्यार्थी के बारे में बताएंगे जिसने 8 साल की उम्र में दसवीं और 13 साल की उम्र में ग्रेजुएशन और 22 साल की उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली है । आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वह भारत की पहली ऐसी लड़की है जिसने इतनी कम उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की है अगर आप भी उनकी कहानी को जाना चाहते हैं तो चलिए हम लोग जानते हैं।
8 साल में 10वीं और 13 की उम्र में ग्रेजुएशन
आज के कहानी में हम नैना जयसवाल के बारे में बात कर रहे हैं । जिन्होंने 8 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास कर ली थी इसके बाद उन्होंने 10 साल की उम्र में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मांस कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन क्रांतिकारी हासिल की उसे समय उनकी उम्र 13 साल थी इसके बाद उन्होंने पीएचडी कोर्स में दाखिला लिया और जहां पर उन्होंने 22 साल की उम्र में उसे भी पास कर लिया है ऐसे में सबसे कम उम्र की पीएचडी करने वाली भारत की वह पहले लड़की हैं।
एशिया में सबसे कम उम्र की पोस्ट ग्रेजुएट
नैना जयसवाल एशिया की सबसे कम उम्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने वाली लड़की हैं। नैना हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त करके एशिया की सबसे कम उम्र पोस्ट ग्रेजुएट करने वाली लड़की बन गई है इसके अलावा आने का जायसवाल भारत की पहली ऐसी महिला है जिन्होंने 22 साल की उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की है
पढ़ाई के साथ टेबल टेनिस में भी माहिर (Expert in Table Tennis along with Studies)
नैना (Naina) पढ़ाई (Studies) के साथ एक माहिर खिलाड़ी (Expert Player) भी हैं। वह एक टेबल टेनिस (Table Tennis) खिलाड़ी के तौर पर राष्ट्रीय (National) और दक्षिण एशियाई (South Asian) चैंपियन (Champion) रह चुकी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय (National) और अंतरराष्ट्रीय (International) स्तर पर कई मेडल (Medals) जीते हैं। उनके माता-पिता (Parents) ने उन्हें होमस्कूलिंग (Homeschooling) कराने का फैसला किया।
इसी वजह से वह खेल (Sports) और पढ़ाई (Studies) दोनों में अच्छा प्रदर्शन (Performance) कर सकीं। होमस्कूलिंग (Homeschooling) का मतलब है घर जैसे माहौल (Home-like Environment) में पढ़ाई (Study) करना। इससे नैना (Naina) को अपने समय (Time Management) का बेहतर प्रबंधन (Better Management) करने में मदद मिली।
उम्र तो सिर्फ आंकड़ा है (Age is Just a Number)
नैना जायसवाल (Naina Jaiswal) की कहानी (Story) हमें बताती है कि उम्र (Age) सिर्फ एक संख्या (Number) है। लगन (Dedication) और मेहनत (Hardwork) से हम कुछ भी हासिल (Achieve) कर सकते हैं। नैना की कहानी (Story) सभी बच्चों (Children) और युवाओं (Youth) के लिए प्रेरणादायक (Inspirational) है। नैना का जीवन (Life) हमें यह भी सिखाता है कि शिक्षा (Education) और खेल (Sports) दोनों ही जरूरी (Important) है और दोनों में संतुलन (Balance) बनाना चाहिए।