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Prayagraj Maha Kumbh: कथावाचक देवी चित्रलेखा पहुंचीं महाकुंभ, धीरेन्द्र शास्त्री के साथ शेयर कीं फोटोज

Prayagraj Maha Kumbh: फोटो: PGDP

Prayagraj Maha Kumbh: नई दिल्ली:  प्रयागराज महाकुंभ जो कि एक ऐतिहासिक और धार्मिक है। इस महाकुंभ की दिव्य धार्मिक (religious) महिमा को महसूस करने के लिए हर कोने से लोग आते हैं। इसमें विभिन्न संत, धर्मगुरु और कथावाचक आते हैं, जो अपने ज्ञान और भक्ति से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। हाल ही में, प्रसिद्ध कथावाचक (storyteller) देवी चित्रलेखा का आगमन महाकुंभ में हुआ, जिन्होंने अपने आशीर्वाद से भक्तों को प्रभावित किया।

देवी चित्रलेखा का नाम केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध हो चुका है। उनकी कथाएं (stories) और प्रवचन सोशल मीडिया पर लाखों लोगों द्वारा देखे जाते हैं। देवी चित्रलेखा ने बहुत कम समय में अपनी पहचान बनाई और लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। उनके प्रवचन में ऐसी गहरी बातों का समावेश होता है, जो श्रोताओं के दिल को छू जाती हैं। उन्होंने महाकुंभ में आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Acharya Dhirendra Krishna Shastri) के साथ एक फोटो भी साझा की, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

इस फोटो में आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने एक ऑरेंज कुर्ता (orange kurta) पहना हुआ था, जिसमें भगवान शंकर की तस्वीर बनी हुई थी, जबकि देवी चित्रलेखा ने अपनी व्हाइट ड्रेस (white dress) के साथ लाइट ब्राउन कलर की शॉल पहनी थी। यह दृश्य भक्तों के लिए एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव की तरह था। उनकी साधारण और सहज पहनावे के बावजूद, उनकी भक्ति और आस्था ही सबसे अधिक आकर्षक थी।

देवी चित्रलेखा ने महाकुंभ में आने के बाद आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से कन्या विवाह महोत्सव (Kanya Vivah Mahotsav) में शामिल होने का निमंत्रण भी प्राप्त किया। यह आयोजन विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए था जो विवाह योग्य थीं, और यह एक सामाजिक आयोजन बन गया, जहां धर्म और संस्कृति का उल्लास था। देवी चित्रलेखा का इस आयोजन में भाग लेना उनके समाज में योगदान (social contribution) को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

देवी चित्रलेखा के साथ उनके पति माधव तिवारी (Madhav Tiwari) भी कई अवसरों पर साथ दिखाई देते हैं। दोनों का एकजुट रहना उनके जीवन में संगठन (partnership) और सामूहिकता का प्रतीक है। यह दिखाता है कि जीवन में सफलता केवल व्यक्तिगत नहीं होती, बल्कि परिवार और समुदाय के साथ सहयोग से प्राप्त की जाती है।

यह महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक (spiritual) यात्रा है, जिसमें हर व्यक्ति को अपनी आस्था और विश्वास को पुनः परखने का अवसर मिलता है। इस प्रकार के आयोजनों से समाज में एकजुटता और प्रेम की भावना जागृत होती है, जो हमारे सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का कार्य करती है।

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