बड़ी उपलब्धि || हिमाचल की बेटी ने रचा सफलता का इतिहास, मैत्रेयी भारद्वाज बनीं तहसीलदार

हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा (HPAS) परीक्षा में सिरमौर जिले की मैत्रेयी भारद्वाज ने 22वां रैंक हासिल कर तहसीलदार का पद प्राप्त किया है। खास बात यह है कि मैत्रेयी ने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी के दम पर हासिल की है और वह इस साल की टॉपर मेघा सिंह कंवर की क्लासमेट भी रही हैं।

सिरमौर || हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के सुदूर धारटीधार क्षेत्र में आज जश्न का माहौल है। वजह है काण्डों कांसर पंचायत की लाडली बेटी मैत्रेयी भारद्वाज, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ अपने परिवार का, बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है। मैत्रेयी ने प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा (HPAS) परीक्षा को पास कर तहसीलदार (Tehsildar) का पद हासिल किया है। उन्होंने इस कठिन परीक्षा में 22वां रैंक प्राप्त किया है। उनकी यह कामयाबी इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने यह मुकाम बिना किसी बड़े शहर में गए और बिना किसी महंगी कोचिंग के हासिल किया है। यह HPAS Exam success story ग्रामीण परिवेश के हजारों युवाओं के लिए एक नई उम्मीद की किरण बनकर आई है।

मैत्रेयी एक बेहद साधारण और जमीन से जुड़े परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता रमेश भारद्वाज पशुपालन विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और माता सुमन भारद्वाज एक कुशल गृहिणी हैं। घर में पढ़ाई का माहौल और संस्कारों की नींव ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनके भाई सिद्धार्थ भी वन विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मैत्रेयी ने साबित कर दिया है कि अगर इरादे पक्के हों, तो संसाधन कभी बाधा नहीं बनते। उनकी इस सफलता ने women empowerment in Himachal का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है, जिससे धारटीधार क्षेत्र की हर बेटी को आगे बढ़ने का हौसला मिला है।

सफलता की इस कहानी में एक और दिलचस्प पहलू उनकी स्कूली शिक्षा का है। मैत्रेयी ने जवाहर नवोदय विद्यालय (Jawahar Navodaya Vidyalaya) नाहन से अपनी पढ़ाई की है। संयोग देखिए कि इस बार की एचपीएएस टॉपर मेघा सिंह कंवर और मैत्रेयी भारद्वाज, दोनों ही जेएनवी नाहन में एक ही कक्षा में पढ़ती थीं। दोनों सहेलियों ने साल 2015 में एक साथ जमा दो की पढ़ाई पूरी की और अब एक साथ ही प्रशासनिक अधिकारी बनकर निकली हैं। यह friendship goals और सहपाठियों की सफलता की एक अनूठी मिसाल है, जिसकी चर्चा आज हर जुबान पर है।

अपनी तैयारी की रणनीति साझा करते हुए मैत्रेयी ने बताया कि उन्होंने नाहन में अपने घर पर रहकर ही पढ़ाई की। उन्होंने किसी भी तरह की प्रोफेशनल कोचिंग का सहारा नहीं लिया, बल्कि पूरी तरह से self-study preparation पर भरोसा किया। B.Sc. की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लक्ष्य निर्धारित किया और दूसरे ही प्रयास में उसे भेद दिया। उनका मानना है कि आत्मविश्वास और अनुशासन के साथ की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। हालांकि, मैत्रेयी का कहना है कि यह उनका अंतिम पड़ाव नहीं है, वे आगे भी अपने सुधार के लिए प्रयासरत रहेंगी।

इस बार का परीक्षा परिणाम सिरमौर जिले (Sirmour district)  के लिए ऐतिहासिक रहा है। जहां पझौता घाटी की मेघा सिंह कंवर ने टॉप किया, वहीं हरिपुरधार की शीतल ने 20वां और धारटीधार की मैत्रेयी ने 22वां रैंक हासिल किया। इन बेटियों ने बता दिया है कि सिरमौर की धरती प्रतिभा की खान है। मैत्रेयी अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों और विशेष रूप से अपने बड़े भाइयों के मार्गदर्शन को देती हैं। उनकी नानी और पूरा ननिहाल भी अपनी नातिन की इस government officer achievement पर फूला नहीं समा रहा है।