Success Story: कभी बस किराए के लिए नहीं थे 90 रुपये... अब ठुकरा दिया 107 करोड़ का ऑफर; जानिए खान सर की सक्सेस स्टोरी

Success Storyआज हर छात्र की जुबान पर जिनका नाम है, उस खान सर की जिंदगी हमेशा से ऐसी नहीं थी। एक वक्त था जब सेना (Army) में जाने का सपना टूट गया, दिन भर की मेहनत के बाद जेब में सिर्फ 40 रुपये थे और घर जाने का किराया भी नहीं था।
 
Khan Sir

Photo Credit: Khan Sir: (फाइल फोटो)

Success Story नई दिल्ली: यूट्यूब (YouTube) और कोचिंग की दुनिया में 'खान सर' आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनके पढ़ाने का अनोखा अंदाज और सरल भाषा उन्हें छात्रों के बीच एक सुपरस्टार बनाती है। लेकिन इस सफलता के पीछे एक ऐसी कहानी छिपी है, जो संघर्ष, हिम्मत और जुनून से भरी है।

जब टूटा सेना में जाने का सपना
खान सर जिनका असली नाम फैजल खान है, हमेशा से भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते थे। एक साधारण परिवार में जन्मे फैजल के पिता एक ठेकेदार थे और मां घर संभालती थीं। पैसों की तंगी के बावजूद फैजल के सपने बड़े थे। उन्होंने एनडीए (NDA) से लेकर सैनिक स्कूल तक की परीक्षाएं दीं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। कई प्रयासों के बाद भी जब सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने हार नहीं मानी और एक नया रास्ता चुना।

₹40 की कमाई और मीलों का पैदल सफर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, खान सर ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। उनका पढ़ाया हुआ पहला ही छात्र जब क्लास में फर्स्ट आया, तो उनकी ख्याति फैलने लगी। धीरे-धीरे और छात्र उनसे जुड़ने लगे। लेकिन जिंदगी का सबसे बड़ा इम्तिहान अभी बाकी था। एक दिन, दिन भर पढ़ाने के बाद जब उन्हें सिर्फ 40 रुपये मिले, तो उनके होश उड़ गए क्योंकि घर जाने के लिए बस का किराया ही 90 रुपये था। उस मुश्किल घड़ी में उन्होंने किसी से मदद नहीं मांगी, बल्कि गंगा किनारे बैठकर अपनी यात्रा पैदल ही पूरी कर ली।

कोचिंग पर बमबारी और छात्रों का अटूट साथ
उसी रात उन्होंने फैसला किया कि वह अपना खुद का एक कोचिंग संस्थान (Coaching Institute) शुरू करेंगे। दोस्तों की मदद से एक छोटी सी जगह पर कोचिंग शुरू भी हो गई। जैसे ही संस्थान में छात्रों की भीड़ बढ़ने लगी, एक रात कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके कोचिंग सेंटर पर बम से हमला कर दिया। सब कुछ तहस-नहस हो गया, लेकिन खान सर के हौसले नहीं। अगली सुबह जब छात्र आए और उन्होंने यह मंजर देखा, तो उन्होंने खुद अपने शिक्षक के साथ मिलकर संस्थान को फिर से खड़ा किया और पढ़ाई फिर शुरू हो गई।

जब 107 करोड़ को कहा 'ना'
उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि एक बड़ी एड-टेक कंपनी ने उन्हें अपने साथ काम करने के लिए 107 करोड़ रुपये की भारी-भरकम पेशकश कर डाली। लेकिन खान सर ने इस चौंका देने वाले ऑफर को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "मेरे छात्रों को मेरी जरूरत है। शिक्षण का मतलब मेरे लिए पैसा कमाना नहीं, बल्कि छात्रों के जीवन को बदलना है।" आज भी वह लाखों छात्रों को बहुत ही कम फीस में शिक्षा दे रहे हैं और उनकी सफलता की कहानी हर किसी के लिए एक प्रेरणा (Motivation) है।

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