IIT Wale Baba: महाकुंभ (Mahakumbh) के दौरान IIT वाले बाबा उर्फ अभय सिंह के वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया (Social Media) पर जमकर वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में उनकी जीवन यात्रा और विचारों को लेकर बड़ी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि उन्होंने IIT बॉम्बे (IIT Bombay) से एविएशन इंजीनियरिंग (Aviation Engineering) की डिग्री हासिल की है। हालांकि, अभय सिंह का जीवन एक ऐसी प्रेरणा बन गया है जो यह बताता है कि शिक्षा (Education) और सफलता के पारंपरिक मानकों के बावजूद, व्यक्ति अपनी आत्मा के सच्चे मार्ग पर चल सकता है।
अभय सिंह के माता-पिता चाहते थे कि वह IAS (Indian Administrative Services) बने, लेकिन उन्होंने अपनी राह खुद चुनी। अभय का कहना है, “शुरुआत में मेरे माता-पिता मुझसे कहते थे कि तुम पढ़ाई में अच्छे हो, इसलिए IAS (IAS Exam) कर लो।” इसके बावजूद, उन्होंने पारंपरिक नौकरी और प्रशासनिक रास्ते को नकारते हुए एक नई दिशा अपनाई। वह कहते हैं, “मुझे IAS नहीं बनना था। मैंने उन्हें बताया कि मुझे तो कुछ और ही करना है, लेकिन वे चाहते थे कि मैं सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए IAS का एग्जाम पास कर लूं।”
बात यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि अभय सिंह ने IIT बॉम्बे (IIT Bombay) से एविएशन इंजीनियरिंग (Aviation Engineering) की डिग्री हासिल की, लेकिन फिर उन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह से बदलने का निर्णय लिया। इस निर्णय के बाद, उन्होंने मोह-माया (Maya) के बंधन से मुक्त होकर वैराग्य जीवन (Renunciation) को अपनाया। यह उस समय का था जब उन्होंने यह तय किया कि वे अब किसी तरह के भौतिक सुख-साधनों से परे अपने जीवन को एक नई दिशा देंगे।
इस जीवन परिवर्तन के बाद उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें बताया गया कि उनके पास केवल चार चीजें होती हैं। उन्होंने यह साझा किया कि “मेरे बैग में सिर्फ चार चीजें रहती हैं – एक बीड़ी का बंडल (Bundle of Bidi) ठंड से बचने के लिए कम्बल (Blanket), आईपैड (iPad) और कुछ इत्र (Perfume)।” यह वीडियो उनके जीवन के सरलता और वैराग्य के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। उनका यह जीवनशैली और सोच कई लोगों के लिए एक उदाहरण बन गई है, खासकर उन लोगों के लिए जो भौतिक वस्तुओं और सफलता के पीछे भागते रहते हैं।
यह कहानी इस बात को दर्शाती है कि किसी भी सफलता की परिभाषा बदल सकती है और जीवन में असली खुशी और शांति कहीं और ही हो सकती है। अभय सिंह के जीवन के फैसले यह साबित करते हैं कि जब व्यक्ति अपने आंतरिक सुख (Inner Peace) को प्राथमिकता देता है, तो वह हर भौतिक चीज़ से परे एक सच्चे संतुलन और संतोष की ओर बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आईआईटी बाबा ने कहा कि वह कर्मयोगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी जिंदगी तपस्या है. कर्मयोगी की जिंदगी पूरी तपस्या की जिंदगी होती है. बिना फल की इच्छा करे किसी दूसरे के लिए अपने सारे जीवन को न्योछावर कर देना बड़ा मुश्किल काम होता है.