IAS Success Story: UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा देश में सबसे कठिन है। ये ऐसा सपना है जिसे देखने वाले लाखों लोग होते हैं, लेकिन उसे पूरा करने वाले बहुत कम हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले की मुद्रा गैरोला ने इस चुनौती को स्वीकार किया और दिखाया कि अगर इरादे पक्के हों, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। उनके पास पहले भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का पद था, लेकिन उनका मन IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) बनना चाहता था। इसलिए उन्होंने फिर से परीक्षा दी और 53वीं रैंक हासिल की। मुद्रा गैरोला मूल रूप से उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में रहते हैं। आज वो अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहती हैं। वह बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थीं और क्लास में हमेशा पहले स्थान पर रहती थीं। यह उनके मेहनती स्वभाव (Hardworking Nature), अनुशासन (Discipline) और आत्मविश्वास का परिणाम था कि छोटी उम्र से ही उनका नाम प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में गिना जाने लगा।
10वीं की बोर्ड परीक्षा में उन्होंने 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, जबकि 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 97 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने उनकी इस उपलब्धि को पुरस्कार से सम्मानित किया। उनका जीवन इस सम्मान से प्रेरित हुआ। साथ ही, उनके पिता अरुण गैरोला, जो 1973 में खुद UPSC की परीक्षा में बैठे लेकिन सफल नहीं हो पाए थे, चाहते थे कि उनकी बेटी IAS बन जाए। पिता के सपनों को पूरा करने के लिए मुद्रा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। डॉक्टर बनने का सपना छोड़कर वे UPSC में गए। उन्होंने मुंबई (Mumbai) के एक मेडिकल कॉलेज में BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की पढ़ाई के दौरान गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद मैं दिल्ली में मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी (MDS) के लिए पहुंचीं, लेकिन वहां पहुंचते ही मेरे जीवन में एक और परिवर्तन हुआ। उनकी मास्टर डिग्री पूरी होने पर वे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लग गए।
2018 में उन्होंने पहली बार UPSC परीक्षा दी। यद्यपि ये अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी, सफलता अभी दूर थी। 2019 और 2020 में वे फिर से प्रयास करने लगे। उनका साहस (determination) दो बार असफल होने के बावजूद नहीं टूटा। 2021 में उनकी सफलता का जज्बा था। 2021 में वह IPS बन गई और UPSC में 165वीं रैंक हासिल की। लेकिन उसने भीतर से IAS बनना चाहा। IPS वर्दी पहनने के बाद भी उनका सपना पूरा नहीं हुआ। 2022 में उन्होंने फिर से परीक्षा दी। उसने इस बार देश भर में 53वीं स्थान हासिल कर दिखाया कि लगन और मेहनत से कुछ भी हो सकता है।
मुद्रा की इस सफलता ने हज़ारों युवा लोगों को नई प्रेरणा दी है और उनके पिता के सपने भी पूरे किए हैं। जैसा कि उनकी कहानी बताती है, कोई भी रास्ता आसान नहीं होता, लेकिन अगर मंजिल तक पहुंचने का जुनून होता है, तो रास्ते स्वयं आसान हो जाते हैं। उनकी जीवन यात्रा उन युवाओं की प्रेरणा है जो UPSC या किसी बड़ी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं। चिकित्सा क्षेत्र से सार्वजनिक सेवाओं तक की यात्रा कठिन नहीं रही। लेकिन मुद्रा ने दिखाया कि लंबी राह पर भी मंज़िल मिल ही जाती है अगर ईमानदारी से काम किया जाता है और मन साफ होता है। उन्होंने खुद को साबित किया, अपने पिता को गौरवान्वित किया और देश को एक ईमानदार और प्रतिबद्ध IAS अफसर दिया।