क्या आप जानते है कि 2000 रुपये की शराब की बोतल बिकने पर दुकानदार को कितना प्रॉफिट होता है?

नई दिल्ली:  जब भी आप किसी दुकान (Shop) से शराब (Liquor) खरीदते हैं तो आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर दुकानदार को इस पर कितना मुनाफा (Profit) कमता है। आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार (Government) को एक बोतल पर कितना टैक्स (Tax) मिलता है। आपको बताएंगे कि ₹2000 की एक शराब की बोतल (Bottle) पर कितनी टैक्स कटौती होती है और दुकानदार को कितना बचता है।

शराब पर जीएसटी और टैक्स सिस्टम में क्या फर्क है।

भारत में अधिकतर चीजों पर जीएसटी (GST) लागू किया जाता है। लेकिन शराब पर जीएसटी नहीं लगता है। बल्कि राज्य सरकारें (State Governments) अपने नियमों के अनुसार एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) और वैट (Value Added Tax) वसूलती हैं। जिसके आधार के अलग-अलग राज्यों के नीतियां बनाई हुई है। यही कारण है कि एक ही ब्रांड (Brand) की शराब की बोतल एक राज्य में ₹2000 में मिलती है, तो दूसरे राज्य में इसकी कीमत ₹2500 या ₹1800 हो सकती है।

₹2000 की शराब की बोतल पर सरकार कितना टैक्स लेती

अगर हम सामान्य रूप से देखें, तो एक ₹2000 की शराब की बोतल पर लगभग 30% से 35% टैक्स लगाया जाता है। यानी, अगर आपने ₹2000 की बोतल खरीदी, तो इसमें से ₹600 से ₹700 तक सरकार को टैक्स के रूप में चला जाता है। जब शराब की कीमत से सरकार द्वारा लिया गया टैक्स हटा दिया जाता है, तो उसके बाद ट्रांसपोर्टेशन (Transportation), स्टोरेज (Storage) और अन्य खर्चों को जोड़ा जाता है। इसके बाद जो कीमत बचती है, वही दुकानदार का लाभ (Profit) होता है। इसका मतलब है कि ₹2000 की शराब की बोतल पर दुकानदार को लगभग 15% से 25% का मुनाफा हो सकता है। हालांकि, यह ब्रांड, स्थान और राज्य की नीतियों पर निर्भर करता है।

टैक्स की गणना इस प्रकार होती है:

  • एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty): यह राज्य सरकार द्वारा तय किया जाता है और इसकी दर हर राज्य में अलग होती है।
  • वैट (VAT): कुछ राज्यों में वैट लगाया जाता है, जिसकी दर 10% से 20% के बीच हो सकती है।
  • अतिरिक्त उपकर (Cess): कुछ राज्यों में शराब पर अतिरिक्त सेस (Cess) भी लागू होता है, जो राज्य की आर्थिक नीतियों पर निर्भर करता है।

कौन तय करता शराब के दाम?

शराब के दाम तय करने का अधिकार पूरी तरह से राज्य सरकारों के पास होता है। वे यह तय करते हैं कि किसी ब्रांड की शराब की कीमत कितनी होगी और उस पर कितना टैक्स लगाया जाएगा। यही वजह है कि हर राज्य में शराब की कीमतें अलग-अलग होती हैं।